यदि एक समांतर श्रेढ़ी का प्रथम पद $3$ है तथा इसके प्रथम $25$ पदों का योग, इसके अगले $15$ पदों के योग के बराबर है, तो इस समांतर श्रेढ़ी का सार्वअंतर है
$\frac{1}{4}$
$\frac{1}{5}$
$\frac{1}{7}$
$\frac{1}{6}$
यदि ${a_1},\;{a_2},\,{a_3},......{a_{24}}$ समान्तर श्रेणी में हैं तथा ${a_1} + {a_5} + {a_{10}} + {a_{15}} + {a_{20}} + {a_{24}} = 225$, तो ${a_1} + {a_2} + {a_3} + ........ + {a_{23}} + {a_{24}} = $
माना तीन अंक $a, b, c$ $A.P.$ में हैं। इनमें से प्रत्येक अंक को तीन बार प्रयोग कर $9$ अंको की संख्याएँ इस प्रकार बनाई जाती है कि तीन क्रमागत संख्याएँ कम से कम एक बार $A.P.$ में हो। इस प्रकार की कितनी संख्याएँ बनाई जा सकती है ?
तीन संख्यायें समान्तर श्रेणी में हैं जिनका योगफल $33$ है एवं गुणनफल $792$ है, तो इनमें से सबसे छोटी संख्या है
माना कि $AP ( a ; d )$ एक अनंत समान्तर श्रेणी (infinite arithmetic progression) के पदों का समुच्चय (set) है जिसका प्रथम पद $a$ तथा सर्वान्तर (common difference) $d >0$ है। यदि $AP (1 ; 3) \cap \operatorname{AP}(2 ; 5) \cap AP (3 ; 7)=$ $AP ( a ; d )$ है, तब $a + d$ बराबर . . . . .
माना एक समांतर श्रेढ़ी के प्रथम तीन पदों का योग $39$ है तथा इसके अंतिम चार पदों का योग $178$ है। यदि इस समांतर श्रेढ़ी का प्रथम पद $10$ है, तो इस समांतर श्रेढ़ी का माध्यक है