$12^{\circ} \mathrm{C}$ तापमान पर $40 \mathrm{~m}$ गहरी झील की तली से $1 \mathrm{~cm}^3$ आयतन का एक वायु का बुलबुला उठता है। वायुमण्डलीय दाब $1 \times 10^5 \mathrm{~Pa}$, गुरुत्वीय त्वरण $\mathrm{g}=10 \mathrm{~m} / \mathrm{s}^2$ एवं पानी का घनत्व $1000 \mathrm{~kg} / \mathrm{m}^3$ है। पानी की सतह एवं $40 \mathrm{~m}$ की गहराई पर पानी के तापमान में कोई अन्तर नहीं है। जब वायु का बुलबुला सतह पर पहुँचता है तब इसका आयतन होगा:
$5\mathrm{~cm}^3$
$2\mathrm{~cm}^3$
$4\mathrm{~cm}^3$
$3\mathrm{~cm}^3$
दो एक समान बेलनाकार पात्रों के आधार समान तल पर हैं तथा प्रत्येक पात्र का आधार क्षेत्रफल $A$ है। प्रत्येक पात्र में समान घनत्व $ \rho$ का द्रव अलग.अलग ऊँचाइयों $h_1$ तथा $h_2$ तक भरा हुआ है। यदि दोनों पात्रों को एक दूसरे से जोड़ दिया जाए तब दोनों पात्रों में द्रव का तल समान करने हेतु गुरुत्व द्वारा किया गया कार्य होगा
किसी झील की तली में वायु का एक बुलबुला स्थित है, जिसकी त्रिज्या $ r $ है। तली से ऊपरी सतह की ओर जाने पर बुलबुले की त्रिज्या $2r $ हो जाती है। यदि वायुमण्डलीय दाब जल स्तंभ का $P$ सेमी है, तब झील की गहराई है
एक वृत्ताकार नली ऊर्ध्वाधर तल में है। दो द्रव, जो एक दूसरे से मिश्रित नहीं होते तथा जिनका घनत्व $d_{1}$ एवं $d_{2}$ हैं, नली में भरे गये हैं। प्रत्येक द्रव केन्द्र पर $90^{\circ}$ का कोण अंतरित करता हैं। उनके अंत: पृष्ठ को जोड़ने वाली त्रिज्या ऊर्ध्वाधर से $\alpha$ कोण बनाती हैं। अनुपात $\frac{d_{1}}{d_{2}}$ है :
ताँबे के दो बर्तन $A$ एवं $B$ की तली का क्षेत्रफल समान है, किन्तु उनकी आकृतियाँ अलग-अलग है। किसी विशेष उभयनिष्ठ ऊंघूाई तक भरें जाने के लिए $B$ को जितने जल की आवश्यकता होती है, $A$ में उसके दोगुने आयतन का पानी आ सकता है। तो निम्नलिखित में से सही कथन है:
$16\,cm ^2$ समान अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले दो बेलनाकार बर्तनों में क्रमशः $100\,cm$ एवं $150\,cm$ ऊँचाई तक पानी भरा है। बर्तनों को आपस में इस प्रकार जोड़ दिया जाता है कि दोनों में पानी का स्तर समान हो जाए। इस प्रक्रम में गुरूत्व बल द्वारा किये गये कार्य का मान $........\,J$ होगा [माना, पानी का घनत्व $=10^3 kg / m ^3$ एवं $g =10 ms ^{-2}$ ]