एक द्रव्यमान घर्षण रहित क्षैतिज सतह पर रखा है तथा इसे एक डोरी से बाँधा गया है। इसे एक डोरी से बाँधकर निश्चित केन्द्र के परित: अचर कोणीय वेग${\omega _0}$से घुमाया जाता है। यदि कोणीय वेग तथा डोरी की लम्बाई दोगुनी कर दें, तो डोरी में तनाव क्या होगा जबकि डोरी का प्रारम्भिक तनाव $ = {T_0}$ है
${T_0}$
${T_0}/2$
$4{T_0}$
$8{T_0}$
एक कण नियत चाल $v$ से $R$ त्रिज्या के वृत्त में गति कर रहा है, यदि त्रिज्या को दोगुना कर दिया जाये, तब चाल वही बनाये रखने के लिये आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल होगा
$m$ द्रव्यमान का एक कण $r$ त्रिज्या के पथ पर एक समान वृत्तीय गति कर रहा है। यदि इसके रेखीय संवेग का परिमाण $p$ हो तो कण पर कार्यरत् त्रैज्यीय बल होगा
किसी डोरी के एक सिरे से बँधा $0.25\, kg$ संहति का कोई पत्थर क्षैतिज तल में $1.5\, m$ त्रिज्या के वृत्त पर $40\, rev /$ $min$ की चाल से चक्कर लगाता है ? डोरी में तनाव कितना है ? यदि डोरी $200\, N$ के अधिकतम तनाव को सहन कर सकती है, तो वह अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए जिससे पत्थर को घुमाया जा सकता है।
यदि समान द्रव्यमान के दो कणों के पथों की वक्रता त्रिज्यों का अनुपात $3: 4$ हो तो तब नियत अभिकेन्द्र बल के लिए उनके वेगों का अनुपात होगा :
एक कार $50 \mathrm{~m}$ त्रिज्या की क्षैतिज वक्राकार सड़क पर चल रही है। यदि सड़क व टायरों के बीच घर्षण गुणांक $0.34$ हो तब कार की लगभग अधिकतम चाल है। $\left[\mathrm{g}=10 \mathrm{~ms}^{-2}\right.$ लें $]$