${m_1}$ द्रव्यमान का एक पिण्ड $40$ मी/सै के एक समान वेग से एक ${m_2}$ द्रव्यमान वाले स्थिर पिण्ड से टकराता है। इसके पश्चात् दोनों पिण्ड एकसाथ $30$ मी/सै की अचर चाल से चलते हैंं। इनके द्रव्यमानों की निष्पत्ति $({m_1}/{m_2})$ होगी
$0.75$
$1.33$
$3$
$4$
एक नियत बल के प्रभाव में गतिशील $m$ द्रव्यमान की वस्तु के द्वारा विराम से गति प्रारम्भ कर $s$ दूरी तय करने में प्राप्त गतिज ऊर्जा समानुपाती होती है
$M_1$ द्रव्यमान की एक वस्तु विरामावस्था में रखी $M_2$ द्रव्यमान की एक अन्य वस्तु के साथ प्रत्यास्थ संघट्ट करती है तो अधिकतम ऊर्जा स्थानान्तरण होगा, जब
$m$ द्रव्यमान की एक वस्तु $r$ त्रिज्या के वृत्त में नियत चाल $v$ से गति कर रही है। वस्तु पर आरोपित बल $\frac{{m{v^2}}}{r}$ है तथा यह वृत्त के केन्द्र की ओर लगता है। इस बल के द्वारा परिधि पर अर्द्ध-चक्र पूर्ण करने में किया गया कार्य होगा
$R$ त्रिज्या के एक अर्द्धगोले की सतह से $m$ द्रव्यमान का एक पिण्ड अर्द्धगोले की दीवार से सटकर फिसलता है। अर्द्धगोले के निम्नतम बिन्दु पर पिण्ड का वेग होगा [
द्रव्यमान संख्या $A$ के परमाणु के स्थिर नाभिक से एक न्यूट्रॉन वेग $v$ तथा गतिज ऊर्जा $E$ के साथ प्रत्यास्थ प्रत्यक्ष $(Head-on)$ संघट्ट करता है। कुल ऊर्जा का वह भाग जो न्यूट्रॉन में बचा रहेगा