निम्न में कौन सा कथन सत्य नहीं है
स्पर्शज्या धारामापी से पाठ्यांक लेते समय, कुण्डली का तल सदैव पृथ्वी के चुम्बकीय याम्योत्तर के लम्बवत् होना चाहिए
स्पर्शज्या धारामापी में एक लघु चुम्बक का उपयोग किया जाता है क्योंकि लम्बा चुम्बक भारी होगा तथा इसे आसानी से नहीं खिसकाया जा सकेगा
स्पर्शज्या धारामापी से मापन तब अधिक यथार्थ होता है जबकि विक्षेप लगभग ${45^o}$ हो
स्पर्शज्या धारामापी को ध्रुवीय क्षेत्रों में उपयोग नहीं किया जा सकता
दो छड़ चुम्बकों की लम्बाई , चौड़ाई और द्रव्यमान समान हैं परन्तु चुम्बकीय आघूर्ण क्रमश: $M$ और $2M$ हैं । इन्हें योग की स्थिति में दोलन चुम्बकत्वमापी में रखा जाता है तो आवर्तकाल $3$ सैकण्ड प्राप्त होता है । अन्तर की स्थिति में आवर्तकाल होगा
क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुंबक का अक्ष, चुंबकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है संतुलन बिंदु चुंबक के अक्ष पर, इसके केंद्र से $14 \,cm$ दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र $0.36\, G$ एवं नति कोण शून्य है। चुंबक के अभिलंब समद्विभाजक पर इसके केंद्र से उतनी ही दूर ( $14 \,cm$ ) स्थित किसी बिदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र क्या होगा?
दो लघु चुम्बकों के चुम्बकीय आघूर्ण $ 27 : 8 $ के अनुपात में है, इन्हें जब विक्षेप चुम्बकत्वमापी की विपरीत भुजाओं पर रखते हैं तो कोई विक्षेप प्राप्त नहीं होता है। यदि दुर्बल चुम्बक की विक्षेप चुम्बकत्वमापी के केन्द्र से दूरी $0.12 \,m $ हो तो प्रबल चुम्बक की केन्द्र से ....$m$ दूरी है
क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुंबक का अक्ष, चुंबकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है। संतुलन बिंदु चुंबक के अक्ष पर, इसके केंद्र से $14 \,cm$ दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र $0.36 \,G$ एवं नति कोण शून्य है। चुंबक के अभिलंब समद्विभाजक पर इसके केंद्र से उतनी ही दूर $(14\, cm )$ स्थित किसी बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र क्या होगा? चुंबक को $180^{\circ}$ से घुमा दिया जाए तो संतुलन बिंदुओं की नयी स्थिति क्या होगी?
निम्न में से कौन सा वक्र स्पर्शज्या धारामापी में धारा और विक्षेप के सम्बन्घ को सही दर्शाता है