दो लघु चुम्बकों के चुम्बकीय आघूर्ण $ 27 : 8 $ के अनुपात में है, इन्हें जब विक्षेप चुम्बकत्वमापी की विपरीत भुजाओं पर रखते हैं तो कोई विक्षेप प्राप्त नहीं होता है। यदि दुर्बल चुम्बक की विक्षेप चुम्बकत्वमापी के केन्द्र से दूरी $0.12 \,m $ हो तो प्रबल चुम्बक की केन्द्र से ....$m$ दूरी है
$0.06 $
$0.08$
$0.12$
$0.18$
किसी चुम्बक की लम्बाई इसकी मोटाई एवं चौड़ाई की तुलना में बहुत अधिक है। दोलन चुम्बकत्वमापी में इस चुम्बक के दोलन का दोलनकाल $2 \,s $ है। इस चुम्बक को लम्बाई के अनुदिश तीन बराबर टुकड़ों में तोड़कर तीनों टुकड़ों को एक के ऊपर एक इस प्रकार रखते हैं कि उनके सजातीय ध्रुव साथ-साथ हो। इस संयोजन का दोलनकाल होगा
समान त्रिज्या की कुण्डलियों वाले दो स्पर्शज्या धारामापी श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं। प्रवाहित धारा उनमें क्रमश: $ 60° $ और $45°$ के विक्षेप उत्पत्र करती है । कुण्डलियों में फेरों की संख्या का अनुपात है
दो छड़ चुम्बकों के चुम्बकीय आघूर्णों का अनुपात $13 : 5$ है। यदि इन चुम्बकों को दोलन चुम्बकत्वमापी में एकसाथ रखकर दोलन कराये जायें, इस प्रकार कि इनके समान ध्रुव एक ओर रहें तो यह निकाय प्रति मिनट $15$ दोलन करता है यदि असमान ध्रुव एक ओर रहें तो इस निकाय की आवृत्ति ....दोलन/मिनट होगी
स्पर्शज्या धारामापी से मापी गई धारा में न्यूनतम त्रुटि होगी जब विक्षेप है लगभग.....$^o$
दोलन चुम्बकत्वमापी में योगांतर विधि में, आवर्तकाल अधिक रहता है, यदि