दो लम्बे व समान्तर तारों में प्रवाहित धारायें क्रमश: $i_1$ व $i_2$ (${i_1} > {i_2}$) हैं। जब इनमें प्रवाहित धाराओं की दिशायें समान हैं तब तारों के बीच मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र $10\, \mu T$ है। जब $i_2$ धारा की दिशा विपरीत कर दी जाती है तब इसका मान $40\, \mu T$ हो जाता है, अनुपात ${i_1}/{i_2}$ है
$3 : 4$
$11 : 7$
$7 : 11$
$5 : 3$
दो तार $1$ व $2$ एक दूसरे के साथ चित्रानुसार $\theta $ कोण पर झुके हुए हैं एवं इनमें क्रमश: ${i_1}$ व ${i_2}$ धारायें प्रवाहित हो रही हैं। तार $1$ से $r$ दूरी पर स्थित चालक $2$ के अल्पांश $dl$ पर लगने वाला बल (तार $1$ के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण) है
दो समाक्षी परिनालिकाओं में, प्रत्येक से $I$ धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है। यदि, बाहरी परिनालिका के कारण, भीतरी परिनालिका पर चुम्बकीय बल $\overrightarrow{ F }_{1}$ तथा भीतरी परिनालिका के कारण, बाहरी पारिनालिका पर चुम्बकीय बल $\overrightarrow{ F }_{2}$ हो तो
एक धारावाही तार $LN$ को चित्रानुसार मोड़ा गया हैे। इस तार को कागज -तल के लम्बवत् $5$ टेसला के समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। यदि तार में प्रवाहित धारा $10\, A$ हो तब इस पर कार्यरत बल ......$N$ होगा
$10\, gm$ द्रव्यमान एवं $10\, gm$ लम्बार्इ की एक छड़ चिकने नत तल पर इस प्रकार रखी है कि छड़ की लम्बार्इ नत तल की कोर के समान्तर रहे। नत तल क्षैतिज के साथ $60^\circ $ का कोण बनाता है। एक चुम्बकीय क्षेत्र $B$ लम्बवत् नीचे की ओर आरोपित किया जाता है। यदि छड़ में प्रवाहित धारा का मान $1.73$ ऐम्पियर, है, तो चुम्बकीय क्षेत्र का मान जिसके लिये छड़ नत तल पर विराम में रहे, होगा.....$Tesla$
$1.5 \,T$ का एक एकसमान चुंबकीय क्षत्र, $10.0\, cm$ त्रिज्या के बेलनाकार क्षेत्र में विद्यमान है। इसकी दिशा अक्ष के समांतर पूर्व से पश्चिम की ओर है। एक तार जिसमें $7.0\,A$ विध्यूत धारा प्रवाहित हो रही है इस क्षेत्र में होकर उत्तर से दक्षिण की ओर गुजरती है। तार पर लगने वाले बल का परिमाण और दिशा क्या है, यदि
$(a)$ तार अक्ष को काटता हो,
$(b)$ तार $N - S$ दिशा से घुमाकर उत्तर पूर्व-उत्तर पश्चिम दिशा में कर दिया जाए,
$(c)$ $N - S$ दिशा में रखते हुए ही तार को अक्ष से $6.0 \,cm$ नीचे उतार दिया जाए।