यदि प्रकाश वेग $(c)$, सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक $[G]$, प्लांक नियतांक $[h]$ को मूल मात्रकों की तरह प्रयुक्त किया जाये तब इस नयी पद्धति में समय की विमा होगी
${G^{1/2}}{h^{1/2}}{c^{ - 5/2}}$
${G^{ - 1/2}}{h^{1/2}}{c^{1/2}}$
${G^{1/2}}{h^{1/2}}{c^{ - 3/2}}$
${G^{1/2}}{h^{1/2}}{c^{1/2}}$
एक दृढ़ घन $A$ का द्रव्यमान $M$ एवं इसकी प्रत्येक भुजा की लम्बाई $L$ है, यह एकसमान विमा के, दूसरे कम दृढ़ता गुणांक $(\eta )$ वाले घन $ B$ के ऊपर इस प्रकार से स्थित है कि $A$ का निचला पृष्ठ $B$ के ऊपरी पृष्ठ को पूरी तरह ढ़क लेता है। $B$ की निचली सतह दृढ़ता से क्षैतिज सतह पर स्थित है। एक अल्प परिमाण का बल $F,\,A$ की एक सतह पर लम्बवत् लगाया जाता है। बल को हटाने पर $A$ छोटे दोलन करने लगता है जिसका आवर्तकाल दिया जाता है
किसी नलिका से बहने वाले द्रव के क्रांतिक वेग $v _{ c }$ की विमाओं को $\left[\eta^{ x } \rho^{ y } r ^{ x }\right]$ से निर्दिप्ट किया जाता है जहाँ $\eta, \rho$ तथा $r$ क्रमश: द्रव का श्यानता गुणांक, द्रव का घनत्व तथा नलिका की त्रिज्या है, तो $x , y$ तथा $z$ क्रमश: मान है
यदि पृष्ठ तनाव $( S )$, जड़त्व आघूर्ण $( I )$ तथा प्लांक नियतांक $(h)$ को मूलभूत इकाई मानें तो रेखीय संवेग का विमा सूत्र होगा।
सूत्र $X = 3Y{Z^2}$ में $X$ और $Z$ क्रमश: धारिता और चुम्बकीय क्षेत्र की विमायें हैं। $MKSQ$ पद्धति में $Y$ की विमायें हैं