एक दोलन चुम्बकत्वमापी में चुम्बक को गर्म करने पर इसका चुम्बकीय आघूर्ण $36\%$ से घट जाता है ऐसा करने से दोलन चुम्बकत्वमापी का दोलनकाल
$36\%$ से बढ़ जायेगा
$25\%$ से बढ़ जायेगा
$25\%$ से घट जायेगा
$64\%$ से घट जायेगा
क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुंबक का अक्ष, चुंबकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है। संतुलन बिंदु चुंबक के अक्ष पर, इसके केंद्र से $14 \,cm$ दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र $0.36 \,G$ एवं नति कोण शून्य है। चुंबक के अभिलंब समद्विभाजक पर इसके केंद्र से उतनी ही दूर $(14\, cm )$ स्थित किसी बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र क्या होगा? चुंबक को $180^{\circ}$ से घुमा दिया जाए तो संतुलन बिंदुओं की नयी स्थिति क्या होगी?
एक दोलन चुम्बकत्वमापी में किसी चुम्बक का दोलनकाल $1.5 $ सैकण्ड है । उसी आकार, आकृति व द्रव्यमान के दूसरे समान चुम्बक, जिसका चुम्बकीय आघूर्ण का मान पहले चुम्बक के मान का एक-चौथाई है, का उसी स्थान पर दोलनकाल ..... सैकण्ड होगा
एक स्पर्शज्या धारामापी की कुण्डली में $25$ फेरे हैं, तथा इसकी त्रिज्या $ 15 \,cm$ है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक $3 × 10^{-5}$ $T$ है। धारामापी में ${45^o}$ का विक्षेप उत्पन्न करने के लिए आवश्यक धारा .....$A$ होगी
$10\, mA$ की धारा प्रवाहित करने पर एक स्पर्शज्या धारामापी $45^o $ का विक्षेप दर्शाता है। यदि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक $3.6 \times {10^{ - 5}}\,T$ है, एवं कुण्डली की त्रिज्या $10\, cm$ है तो कुण्डली में फेरों की संख्या ......$turns$ होगी
दोलन चुम्बकत्वमापी का उपयोग करके एक चुम्बक को दो स्थानो $A $ तथा $B$ पर क्षैतिज तल में कम्पन कराया जाता है । यदि चुम्बक का दोलनकाल $A$ तथा $ B$ स्थानों पर क्रमश: $2$ सैकण्ड तथा $3$ सैकण्ड हो तथा इन स्थानों पर पृथ्वी के क्षैतिज घटक क्रमश: $H_A$ तथा $H_B$ हों, तो $H_A$ और $H_B$ के बीच अनुपात है