प्रति इकाई आवेश $q$ वाले अनन्त लम्बी नली का उसकी अक्ष से $r$ दूरी पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता होती है
${r^2}$के अनुक्रमानुपाती
${r^3}$ के अनुक्रमानुपाती
$r$ के व्युत्क्रमानुपाती
${r^2}$ के व्युत्क्रमानुपाती
एक गोलीय सममिती आवेश वितरण आवेश घनत्व का निम्नलिखित विचरण रखता है : $\rho(r)=\rho_{o}\left(1-\frac{r}{R}\right) r < R$ के लिए $\rho( r )=0 \quad r \geqslant R$ के लिए जहाँ $r$ आवेश वितरण के केन्द्र से दूरी हैं और $\rho_{ o }$ एक स्थिरांक है। एक अन्तः बिन्दु $( r < R )$ पर विद्युत क्षेत्र है
एकसमान रूप से आवेशित गोले की त्रिज्या $R$ है। इसके केन्द्र से $r$ दूरी एवं उत्पन्न विद्युत क्षेत्र के बीच सही ग्राफीय निरूपण होगा
एक त्रिज्या $R_1$ तथा एक समान आवेश घनत्व का गोलाकर आवेश मूल बिन्दु $O$ पर केन्द्रित है। इसमें एक $R_2$ त्रिज्या तथा $P$ पर केन्द्रित एक गोलाकार गुहिका (cavity), जहाँ $O P=a=R_1-R_2$ है, वनाई जाती है। (चित्र देखें)। यदि गुहिका के अन्दर स्थिति $\vec{r}$ पर विधुत क्षेत्र $\overline{ E }(\overrightarrow{ r })$ है, तव सही कथन है (हैं)
अपरिमित लम्बाई और $R$ त्रिज्या के एक ठोस बेलन पर एक समान आयतन-आवेश-घनत्व $\rho$ है। इसमें $R / 2$ त्रिज्या एक खोखला गोलीय-कोष बेलन के अक्ष पर केन्द्रित है (चित्र देखिये)$।।$ अक्ष से $2 \ R$ दूरी पर स्थित बिन्दु $P$ पर विधुत $\frac{23 p }{16 k \varepsilon_0}$ से दिया जाता है। तब $k$ का मान क्या है ?
गॉस प्रमेय के अनुसार अनन्त लम्बाई के सीधे तार के कारण विद्युत क्षेत्र अनुक्रमानुपाती होता है