रदरफोर्ड के प्रकीर्णन प्रयोग में जब आवेश $Z_{1}$ और द्रव्यमान $M _{1}$ का प्रक्षेप्य आवेश $Z _{2}$ और द्रव्यमान $M _{2}$ के लक्ष्य केन्द्रक तक पहुँचता है तो निकटतम पहुँच की दूरी $r _{0}$ होती है। प्रक्षेप्य की ऊर्जा :-
$Z_1 Z_2$ की समानुपाती होती है।
$Z_1$ की व्युत्क्रमानुपाती होती है।
$M _{1} \times M _{2}$ की समानुपाती होती है।
द्रव्यमान $M _{1}$ की समानुपाती होती है।
परमाणु के रदरफोर्ड के नाभिकीय मॉडल में, नाभिक ( त्रिज्या लगभ्ग $10^{-15} \,m$ ) सूर्य के सदृश है, जिसके परित: इलेक्ट्रॉन अपने कक्ष ( त्रिज्या $\approx 10^{-10} \, m$ ) में ऐसे परिक्रमा करता है जैसे पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है। यदि सौर परिवार की विमाएँ उसी अनुपात में होतीं जो किसी परमाणु में होती हैं, तो क्या पृथ्वी अपनी वास्ताविक स्थिति की अपेक्षा सूर्य के पास होगी या दूर होगी? पृथ्वी के कक्ष की त्रिज्या लगभग $1.5 \times 10^{11} \,m$ है। सूर्य की त्रिज्या $7 \times 10^{8} \,m$ मानी गई है।
हाइड्रोजन के स्पेक्ट्रम में लाइमन तथा बामर श्रेणी की सर्वाधिक लम्बी तरंगदैर्ध्यो का अनुपात होगा है
$5 \,MeV$ ऊर्जा का एक अल्फा कण एक स्थिर यूरेनियम नाभिक से $180^o$ के कोण पर प्रकीर्ण होता है। $\alpha - $ कण की नाभिक के निकटतम आने की दूरी का कोटि मान है
एक नाभिक की त्रिज्या $r _0 A ^{1 / 3}$ द्वारा दी जाती है, जहाँ $r _0=1.3 \times 10^{15} \,m$ एवं $A$ नाभिक की द्रव्यमान संख्या है। सीसा (lead) के नाभिक के लिए $A$ $=206$ | इस नाभिक में दो प्रोटानों के बीच का स्थिरविद्युत बल का मान ......... $N$ निम्न के निकट होगा
एक परमाणु में इलेक्ट्रॉन को नाभिक के चारों ओर घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल, नाभिक द्वारा इलेक्ट्रॉन पर आरोपित किस बल से प्राप्त होता है