अलग-अलग अर्धव्यासों के दो गोलों को समान आवेश दिया जाता है। विभव
छोटे गोले पर अधिक होगा
बड़े गोले पर अधिक होगा
दोनों गोलों पर समान होगा
गोलों के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करेंगे
एकसमान बूँदे जिनकी संख्या $125$ है, प्रत्येक को $50$ वोल्ट विभव से आवेशित किया जाता है। अब इन्हें जोड़कर बनी नई बूँद का विभव ......$V$ होगा
तीन संकेन्द्री धातु कोष $A, B$ तथा $C$ जिनकी त्रिज्यायें क्रमशः $a$, $b$ तथा $c(a< b< c)$ हैं, का पृष्ठ-आवेश-घनत्व क्रमश : $+\sigma$ $-\sigma$ तथा $+\sigma$ है। कोष $B$ का विभव होगा
तांबे के गोलीय उदासीन कण की त्रिज्या $10 \,nm \left(1 \,nm =10^{-9} \,m \right)$ है। एक समय पर एक इलेक्ट्रॉन दे कर धीरे-धीरे इस कण पर विभव आरोपित करके आवेशित करते है। कण पर कुल आवेश तथा आरोपित विभव के मध्य आरेख निम्न होगा।
$3 \times 10^{-8}\, C$ तथा $-2 \times 10^{-8}\, C$ के दो आवेश एक-दूसरे से $15 \,cm$ दूरी पर रखे हैं। न दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के किस बिंदु पर वैध्युत विभव शून्य है? अनंत पर वैध्यूत विभव शून्य लीजिए।
एक गोलीय चालक जिसकी त्रिज्या $2$ मीटर है, को $120\, V$ तक आवेशित किया गया। इसे अब $6$ मीटर त्रिज्या वाले अन्य खोखले गोलीय चालक के अन्दर रख दिया गया है। बड़े गोले का विभव ......$V$ होगा