एक स्पर्शज्या धारामापी की कुण्डली में $50 $ फेरे हैं और कुण्डली की त्रिज्या $4$ सेमी है । इसमें होकर $0.1$ ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाती है । कुण्डली के तल को पृथ्वी के चुम्बकीय याम्योत्तर के समानान्तर स्थिर किया जाता है । यदि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षैतिज घटक की तीव्रता का मान $7 \times {10^{ - 5}}$ टेसला हो तथा ${\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}$ वेबर/ऐम्पियर´$×$ मीटर हो तो धारामापी की सुई में उत्पन्न विक्षेप का मान .....$^o$ होगा
$45$
$48.2$
$50.7$
$52.7$
$M_A$ चुम्बकीय आघूर्ण वाले छड़ चुम्बक $A $ की दोलन आवृत्ति, $M_B $ चुम्बकीय आघूर्ण वाले छड़ चुम्बक $B$ की दोलन आवृत्ति से दुगनी है, तब
यदि किसी सरल लोलक के गोलक को चुम्बक के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाये तथा दोलनों को चुम्बक की लम्बाई के अनुदिश रखा जाये एवं एक ताम्र कुण्डली को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाये कि चुम्बक का एक ध्रुव कुण्डली में अंदर बाहर हो। यदि कुण्डली को लघुपथित कर दिया जाये तो क्या होगा
यदि दोलन चुम्बकत्वमापी में चुम्बक के साथ पीतल की छड़ भी रखी जाती है तो आवर्तकाल
एक स्पर्शज्या धारामापी की कुण्डली में $25$ फेरे हैं, तथा इसकी त्रिज्या $ 15 \,cm$ है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक $3 × 10^{-5}$ $T$ है। धारामापी में ${45^o}$ का विक्षेप उत्पन्न करने के लिए आवश्यक धारा .....$A$ होगी
दोलन चुम्बकत्वमापी का आवर्तकाल $T_0$ है। इसकी चुम्बक एक अन्य चुम्बक से बदल दी जाती है, जिसका जड़त्व आघूर्ण पहले की तुलना में $3$ गुना तथा चुम्बकीय आघूर्ण $1/3$ गुना है। अब नया आवर्तकाल होगा