एक समतल प्लेट ${v_1}$ वेग से, पानी के क्षैतिज पाइप (एक समान अनुप्रस्थकाट) की ओर अभिलम्बवत् गति कर रही है। यह पाइप आयतन $V$ प्रति सैकण्ड की दर से, ${v_2}$ वेग से पानी छोड़ता है। पानी का घनत्व $\rho $ है। माना कि पानी, प्लेट पर उसकी मूल गति के लम्बवत् पड़ता है, तो पानी के कारण प्लेट पर कार्यरत् बल का परिणाम है
$\rho V{v_1}$
$\rho V({v_1} + {v_2})$
$\frac{{\rho V}}{{{v_1} + {v_2}}}v_1^2$
$\rho \left[ {\frac{V}{{{v_2}}}} \right]{({v_1} + {v_2})^2}$
किसी त्रिभुजाकार पटल का क्षेत्रफल $A$ व ऊँचाई $ h $ है इसे $\rho $ घनत्व के द्रव में ऊध्र्वाधर इस प्रकार डुबोया जाता है कि, आधार द्रव तल पर रहें तो पटल पर उत्प्लावन बल होगा
दोनों सिरों पर खुली एक यू-नलिका को पानी से आंशिक भरा गया है। इसकी एक भूजा में पानी में निश्रित न होने वाला एक तेल इतना डाला गया है कि यह दूसरी नली में पानी के तल से $10\, mm$ ऊँचा हो जाता है तथा दूसरी भुजा में पानी का तल उसके प्रारंभिक तल से $65\, mm$ ऊँचा चढ़ जाता है। (आरेख देखिये) तो इस तेल का आपेक्षिक घनत्व ........ $kg/m^3$ है
चित्र में दिखाए गए बर्तन को घनत्व $\rho$ के द्रव द्वारा भर दिया जाता है। बर्तन की दीवार के बिन्दु $P$ पर प्रतिक्षेत्र लगने वाला $P$ पर प्रतिक्षेत्र लगने वाला अभिलम्बवत् बल होगा
एक हल्के बेलनाकार बर्तन को एक क्षैतिज तल पर रखा गया है। इसके आधार का क्षेत्रफल $A$ है। इसके निचले तल में एक $'a'$ अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले छिद्र को बनाया गया है। वह न्यूनतम घर्षण गुणांक जो बर्तन को निकलते हुए द्रव के कारण उत्पन्न बल द्वारा न खिसकाने के लिए आवश्यक है। $( a << A )$ :
किसी $U-$ नली की दोनों भुजाओं में भरे जल तथा मेथेलेटिड स्पिरिट को पारा एक-दूसरे से पृथक् करता है । जब जल तथा पारे के स्तंभ क्रमश: $10\, cm$ तथा $12.5\, cm$ ऊँचे हैं, तो दोनों भुजाओं में पारे का स्तर समान है । स्पिरिट का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात कीजिए।