किसी त्रिभुजाकार पटल का क्षेत्रफल $A$ व ऊँचाई $ h $ है इसे $\rho $ घनत्व के द्रव में ऊध्र्वाधर इस प्रकार डुबोया जाता है कि, आधार द्रव तल पर रहें तो पटल पर उत्प्लावन बल होगा
$\frac{1}{2}A\rho gh$
$\frac{1}{3}A\rho gh$
$\frac{1}{6}A\rho gh$
$\frac{2}{3}A\rho gh$
एक हल्के बेलनाकार बर्तन को एक क्षैतिज तल पर रखा गया है। इसके आधार का क्षेत्रफल $A$ है। इसके निचले तल में एक $'a'$ अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले छिद्र को बनाया गया है। वह न्यूनतम घर्षण गुणांक जो बर्तन को निकलते हुए द्रव के कारण उत्पन्न बल द्वारा न खिसकाने के लिए आवश्यक है। $( a << A )$ :
एक जल विध्यूत शक्ति संयंत्र में जल दाब शीर्ष $300 \,m$ की ऊँचाई पर है तथा उपलब्ध जल प्रवाह $100\, m ^{3} s ^{-1}$ है। यदि टर्बाइन जनित्र की दक्षता $60 \,\%$ हो तो संयंत्र से उपलब्ध विध्यूत शक्ति का आकलन कीजिए, $g=9.8 \,m s ^{-2}$ ।
मान लीजिये एक बांध की सीधी दीवार की ऊँचाई $H$ और $L$ है। यह एक $h ( h < H )$ ऊँचाई की झील के पानी को एक सिरे पर रोक कर रखता है। मानें कि जल का घनत्व $\rho_w$ है तथा दीवार के आधार की लम्बाई के अक्ष के परितः आघूर्ण $\tau_1$ है। मान लीजिये कि $h / 2$ ऊँचाई तथा $L / 2$ लम्बाई के पानी के द्वारा आरोपित एक समरूप आघूर्ण $\tau_2$ है। वायुमण्डलीय दाव को नगण्य मानते हुए $\tau_1 / \tau_2$ का मान निम्न है
दो एक समान बेलनाकार पात्रों के आधार समान तल पर हैं तथा प्रत्येक पात्र का आधार क्षेत्रफल $A$ है। प्रत्येक पात्र में समान घनत्व $ \rho$ का द्रव अलग.अलग ऊँचाइयों $h_1$ तथा $h_2$ तक भरा हुआ है। यदि दोनों पात्रों को एक दूसरे से जोड़ दिया जाए तब दोनों पात्रों में द्रव का तल समान करने हेतु गुरुत्व द्वारा किया गया कार्य होगा
टॉरिसिली के वायुदाब मापी में पारे का उपयोग किया गया था। पास्कल ने ऐसा ही वायुदाब मापी $984\, kg\, m ^{-2}$ घनत्व की फ्रेंच शराब का उपयोग करके बनाया। सामान्य वायुमंडलीय दाब के लिए शराब-स्तंभ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए