एक $\mathrm{PQRS}$ धारावाही आयतकर पाश को एक समान तार से बनाया है। लम्बाई $\mathrm{PR}=\mathrm{QS}=5$ सेमी. तथा $\mathrm{PQ}=\mathrm{RS}=100$ सेमी. है। यदि अमीटर धारा का पाठ्यांक $I$ से $2I$ में बदलता है, तो दोनों स्थितियों में तार $RS$ के कारण तार $\mathrm{PQ}$ पर प्रति इकाई लम्बाई के चुम्बकीय बलों का अनुपात $f_{\mathrm{PQ}}^{\mathrm{I}}: f_{\mathrm{PQ}}^{2 \mathrm{I}}$ है:
$1: 2$
$1: 4$
$1: 5$
$1: 3$
कोई वर्गाकार पाश (लूप) $ABCD$ जिससे धारा $i$ प्रवाहित हो रही है, किसी लम्बे सीधे चालक $XY$ जिससे धारा $I$ प्रवाहित हो रही है के निकट एक ही तल में रखा है। इस पाश पर लगने वाला नेट बल होगा:
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक $3.5 \times 10^{-5} \mathrm{~T}$ है। एक सीधे बहुत लम्बे चालक को जिसमें $\sqrt{2} \mathrm{~A}$ की धारा दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम दिशा में बहती है, इसमें रखा गया है। चालक पर प्रति एकांक लम्बाई पर लगने वाला बल...... $\times 10^{-6} \mathrm{~N} / \mathrm{m}$ है।
एक सीधा एवं लम्बा तार $AB$ चित्रानुसार एक टेबिल पर स्थिर है। द्रव्यमान $1.0\, gm$ एवं लम्बाई $50\, cm$ का एक तार $PQ$ चित्रानुसार दो ऊध्र्वाधर पटरियों $PS$ एवं $QR$ पर खिसकने के लिए स्वतंत्र है। $50\,A$ की धारा तारों में प्रवाहित की जाती है। तार $AB$ से किस......$mm$ ऊँचाई पर तार $PQ$ सन्तुलित होगा
तार की एक वर्गाकर कुंडली का द्रव्यमान $m$ एवं विद्युत प्रतिरोध $R$ है, और इसकी भुजा की लम्बाई $a$ है। यह ुुंडली $x$-अक्ष समान्तर $v_0$ चाल से गति करते हुए एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र $B$ में प्रवेश करती है। चुंबक क्षेत्र कुंडली के तल के लंबवत है। इस चुम्बकीय क्षेत्र में कुंडली की चाल दूरी $x($ $x < a_{\text {) }}$ के साथ निम्न प्रकार से बदलती है
एक तार में $i$ धारा प्रवाहित हो रही है एवं इसका रूप वक्र $1:4:16$ के अनुरूप है। इस तार को चित्रानुसार एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। तार पर कार्यरत बल है