एक कार उच्च गति से जब एक मोड़ पर मुड़ती है, तो इस पर बाहर की ओर एक बल कार्य करता है। इसका कारण है
अभिकेन्द्रीय बल
अपकेन्द्रीय बल
गुरुत्वाकर्षण बल
उपरोक्त सभी
दो पत्थरों के द्रव्यमान $m$ तथा $2m$ हैं | भारी पत्थर को $\frac{r}{2}$ त्रिज्या के तथा हल्के पत्थर को $r$ त्रिज्या के वृत्ताकार क्षैतिज पथों पर घुमाया जाता है | जब ये पत्थर एकसमान अभिकेंद्रीय बल अनुभव करते हैं, तब हल्के पत्थर का रेखीय वेग भारी पत्थर के रेखीय वेग का $n$ गुना है, तब $n$ का मान है
एक कार समान वेग $v$ से एक वृत्तीय मार्ग पर मुड़ती है। यदि उसके भीतरी तथा बाहरी पहियों पर प्रतिक्रिया बल क्रमश:${R_1}$व ${R_2}$हों, तो
यदि समान द्रव्यमान वाले दो कणों के मार्ग की वक्रता त्रिज्याओं का अनुपात $1 : 2$ हेै, तो समान अभिकेन्द्रीय बल के लिये उनके वेगों का अनुपात होना चाहिये
$500$ किग्रा की एक कार $50\, m$ त्रिज्या के वृत्त में $36$ किलोमीटर/घंटे की रफ्तार से चक्कर लगा रही है, तो अभिकेन्द्रीय बल.......... $N$ होगा
एक साइकिल चालक किसी मोड़ पर साइकिल मोड़ते समय भीतर की ओर झुकता है परन्तु उसी मोड़ पर जब एक मोटर-कार चलती है, तो इसमें बैठा यात्री बाहर की ओर झुकता है। इसका कारण है