एक चुम्बक को दोलन चुम्बकत्वमापी में स्वतंत्र रूप से लटकाने पर किसी स्थान $A $ पर प्रति मिनिट $10 $ दोलन करती है तथा अन्य स्थान $B$ पर यह $ 20$ दोलन प्रति मिनिट करती है। यदि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक स्थान $A $ पर $36 \times {10^{ - 6}}\,T,$ हो तो इसका मान $B$ पर होगा
$36 \times {10^{ - 6}}\,T$
$72 \times {10^{ - 6}}\,T$
$144 \times {10^{ - 6}}\,T$
$288 \times {10^{ - 6}}\,T$
दो लघु चुम्बकों के चुम्बकीय आघूर्ण $ 27 : 8 $ के अनुपात में है, इन्हें जब विक्षेप चुम्बकत्वमापी की विपरीत भुजाओं पर रखते हैं तो कोई विक्षेप प्राप्त नहीं होता है। यदि दुर्बल चुम्बक की विक्षेप चुम्बकत्वमापी के केन्द्र से दूरी $0.12 \,m $ हो तो प्रबल चुम्बक की केन्द्र से ....$m$ दूरी है
एक स्पर्शज्या धारामापी की कुण्डली में $50 $ फेरे हैं और कुण्डली की त्रिज्या $4$ सेमी है । इसमें होकर $0.1$ ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाती है । कुण्डली के तल को पृथ्वी के चुम्बकीय याम्योत्तर के समानान्तर स्थिर किया जाता है । यदि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षैतिज घटक की तीव्रता का मान $7 \times {10^{ - 5}}$ टेसला हो तथा ${\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}$ वेबर/ऐम्पियर´$×$ मीटर हो तो धारामापी की सुई में उत्पन्न विक्षेप का मान .....$^o$ होगा
एक दोलन चुम्बकत्वमापी में चुम्बक को गर्म करने पर इसका चुम्बकीय आघूर्ण $36\%$ से घट जाता है ऐसा करने से दोलन चुम्बकत्वमापी का दोलनकाल
किसी लघु चुम्बक की उपस्थिति में एक विक्षेप चुम्बकत्वमापी $\tan A$ स्थिति में $60^o $ का विक्षेप दर्शाता है। यदि चुम्बक की दूरी दो गुनी कर दी जाये तो विक्षेप होगा
क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुंबक का अक्ष, चुंबकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है। संतुलन बिंदु चुंबक के अक्ष पर, इसके केंद्र से $14 \,cm$ दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र $0.36 \,G$ एवं नति कोण शून्य है। चुंबक के अभिलंब समद्विभाजक पर इसके केंद्र से उतनी ही दूर $(14\, cm )$ स्थित किसी बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र क्या होगा? चुंबक को $180^{\circ}$ से घुमा दिया जाए तो संतुलन बिंदुओं की नयी स्थिति क्या होगी?