किसी लघु चुम्बक की उपस्थिति में एक विक्षेप चुम्बकत्वमापी $\tan A$ स्थिति में $60^o $ का विक्षेप दर्शाता है। यदि चुम्बक की दूरी दो गुनी कर दी जाये तो विक्षेप होगा
${\sin ^{ - 1}}\left( {\frac{{\sqrt 3 }}{8}} \right)$
${\cos ^{ - 1}}\left( {\frac{{\sqrt 3 }}{8}} \right)$
${\tan ^{ - 1}}\left( {\frac{{\sqrt 3 }}{8}} \right)$
${\cot ^{ - 1}}\left( {\frac{{\sqrt 3 }}{8}} \right)$
जब $2$ ऐम्पियर की धारा स्पर्शज्या धारामापी से प्रवाहित होती है तो यह $30° $ का विक्षेप देता है। $60° $ के विक्षेप के लिए धारा ......ऐम्पियर होनी चाहिए
दो लघु चुम्बकों के चुम्बकीय आघूर्ण $ 27 : 8 $ के अनुपात में है, इन्हें जब विक्षेप चुम्बकत्वमापी की विपरीत भुजाओं पर रखते हैं तो कोई विक्षेप प्राप्त नहीं होता है। यदि दुर्बल चुम्बक की विक्षेप चुम्बकत्वमापी के केन्द्र से दूरी $0.12 \,m $ हो तो प्रबल चुम्बक की केन्द्र से ....$m$ दूरी है
यदि $\sqrt 3 $ ऐम्पियर की धारा भेजने से स्पर्शज्या धारामापी में $30° $ का विक्षेप होता है, तो $3$ ऐम्पियर धारा से .......$^o$ विक्षेप उत्पन्न होगा
एक स्पर्शज्या धरामापी में $0.1 \,A$ की धारा $30°$ का विक्षेप देती है तो ${60^o}$ का विक्षेप उत्पन्न करने के लिए आवश्यक धारा .......$A$ है
किसी दोलन चुम्बकत्वमापी के चुम्बक को इतना गर्म किया जाता है कि इसका चुम्बकीय आघूर्ण $19\%$ कम हो जाता है। तो ऐसा करने से चुम्बकत्वमापी का दोलनकाल