एक आवेशित कण $\overrightarrow{ v }$ वेग से चुम्बकीय क्षेत्र $\overrightarrow{ B }$ में चलता है। इस पर कार्यरत बल शून्य नहीं है तो यह दर्शाता है कि
$\overrightarrow{ v }$ तथा $\overrightarrow{ B }$ के बीच कोण $0^{\circ}$ या $180^{\circ}$ है
$\overrightarrow{ v }$ तथा $\overrightarrow{ B }$ के बीच $90^{\circ}$ है।
$\overrightarrow{ v }$ तथा $\overrightarrow{ B }$ के बीच कोण $90^{\circ}$ के अलावा कुछ भी है
$\overrightarrow{ v }$ तथा $\overrightarrow{ B }$ के बीच कोण $180^{\circ}$ के अलावा कुछ भी है
यदि प्रोटॉनों की दो किरणावली एक-दूसरे के समान्तर एवं एक ही दिशा में जा रही हैं, तो वे
$2\, MeV$ ऊर्जायुक्त एक प्रोटॉन, एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र $2.5\,tesla$ के लम्बवत् गति करता है, तो प्रोटॉन पर आरोपित बल होगा
धारायुक्त एक लम्बी परिनालिका इस प्रकार रखते हैं इसका अक्ष ऊध्र्व दिशा में है। $v$ वेग से एक प्रोटॉन परिनालिका की अक्ष पर नीचे गिर रहा है। प्रोटॉन परिनालिका मे प्रवेश करने के पश्चात्
If $\frac{x_0}{x_1}=3$, the value of $\frac{R_1}{R_2}$ is.
दो समान्तर तार कागज के तल के तल में एक दूसरे से $X_0$ दूरी पर है। दोनों तारों के बीच एक बिन्दु आवेश, जो उसी तल में है तथा एक तार से $X _1$ दूरी पर है चाल $u$ से गतिमान है। जब तारों में परिणाम $I$ की विधुत धारा एक दिशा में प्रवाहित की जाती है, बिन्दु आवेश के पथ की वक्रता त्रिज्या $R_1$ हैं। इसके विपरित यदि दोनों तारों में धारा $I$ की दिशा एक दूसरे के विपरीत हो, तब पथ की त्रिज्या $R_2$ है। यदि $\frac{x_0}{x_1}=3$, तब $\frac{R_1}{R_2}$ का मान है।
एक स्थान पर एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र $B$ एवं एक समरूप विद्युत क्षेत्र $E$ एक साथ कार्यरत है। इस स्थान पर एक इलेक्ट्रॉन प्रवेश करता है। इसके अविचलित गुजरने के लिए सही व्यवस्था को किस चित्र में दिखाया गया हैं