एक स्थान पर एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र $B$ एवं एक समरूप विद्युत क्षेत्र $E$ एक साथ कार्यरत है। इस स्थान पर एक इलेक्ट्रॉन प्रवेश करता है। इसके अविचलित गुजरने के लिए सही व्यवस्था को किस चित्र में दिखाया गया हैं
कोई डयूटैरॉन और कोई एल्फा कण, जिनकी गतिज ऊर्जा समान हैं किसी समान चुम्बकीय क्षेत्र में लम्बवत प्रवेश करते हैं। मान लीजिए इनके वत्तीय पथों की त्रिज्याएं क्रमशः $r_{d}$ और $r_{\alpha}$ हैं, तब $\frac{r_{d}}{r_{\alpha}}$ का मान होगा।
एक प्रोटॉन पूँज एकसमान विघुत क्षेत्र में, क्षेत्र से $60^{\circ}$ के कोण पर चाल $4 \times 10^{5}\, ms$ से प्रवेश करता है। परिणामी हेलिकल पथ के पीच का सन्निकट मान है (प्रोटॉन का द्रव्यमान $=1.67 \times 10^{-27}\, kg$, प्रोटॉन का आवेश $\left.=1.69 \times 10^{-19} \,C \right)$
एक दूसरे के लम्बवत् विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन पुंज क्षेत्रों के लम्बवत् गति करता है, तो इलेक्ट्रॉनों का वेग .............. $m{s^{ - 1}}$ होगा (जबकि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता $20\;V{m^{ - 1}}$एवं चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $0.5 T$ है)
एक इलेक्ट्रॉन (जिसका द्रव्यमान $9 \times {10^{ - 31}}\,kg$ एवं आवेश $1.6 \times {10^{ - 19}}C$) ${10^6}\,m/s$ के वेग से चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। यदि यह $0.10\, m$ त्रिज्या का वृत्त बनाता है, तो चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा
साइक्लोट्रॉन में धनायन की अधिकतम गतिज ऊर्जा है