दोलन चुम्बकत्वमापी को प्रयोग करने के पूर्व रखना चाहिये
चुम्बकीय याम्योत्तर में
भौगोलिक याम्योत्तर में
चुम्बकीय याम्योत्तर के लम्बवत्
किसी भी स्थिति में
$M_A$ चुम्बकीय आघूर्ण वाले छड़ चुम्बक $A $ की दोलन आवृत्ति, $M_B $ चुम्बकीय आघूर्ण वाले छड़ चुम्बक $B$ की दोलन आवृत्ति से दुगनी है, तब
किसी दोलन चुम्बकत्वमापी के चुम्बक को इतना गर्म किया जाता है कि इसका चुम्बकीय आघूर्ण $19\%$ कम हो जाता है। तो ऐसा करने से चुम्बकत्वमापी का दोलनकाल
एक दोलन चुम्बकत्वमापी में दो चुम्बक एकसाथ रखे जाते हैं और पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में दोलन करते हैं । एक जैसे ध्रुवों के साथ होने पर प्रति मिनट $12 $ दोलन होते हैं, परन्तु विपरीत ध्रुवों के एक साथ होने की स्थिति में केवल $4$ दोलन हो पाते हैं । चुम्बकीय आघूर्णों का अनुपात होगा
एक स्पर्शज्या धारामापी की कुण्डली में $50 $ फेरे हैं और कुण्डली की त्रिज्या $4$ सेमी है । इसमें होकर $0.1$ ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाती है । कुण्डली के तल को पृथ्वी के चुम्बकीय याम्योत्तर के समानान्तर स्थिर किया जाता है । यदि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षैतिज घटक की तीव्रता का मान $7 \times {10^{ - 5}}$ टेसला हो तथा ${\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}$ वेबर/ऐम्पियर´$×$ मीटर हो तो धारामापी की सुई में उत्पन्न विक्षेप का मान .....$^o$ होगा
चुम्बकीय याम्योत्तर में क्षैतिज रूप से लटकी छड़ चुम्बक के दोलनों का आवर्तकाल $T_0$ है यदि इस चुम्बक को एक अन्य समान आकार, समान ध्रुव सामथ्र्य लेकिन, दोगुने द्रव्यमान वाले चुम्बक से बदल दिया जाये तो नया आवर्तकाल होगा