दो ग्रह सूर्य से ${d_1}$ एवं ${d_2}$ माध्य दूरियों पर हैं तथा इनकी आवृत्तियाँ क्रमश: ${n_1}$ तथा ${n_2}$ हैं तब सही सम्बन्ध होगा
$n_1^2d_1^2 = {n_2}d_2^2$
$n_2^2d_2^3 = n_1^2d_1^3$
${n_1}d_1^2 = {n_2}d_2^2$
$n_1^2{d_1} = n_2^2{d_2}$
केन्द्र से $r$ त्रिज्या की दूरी पर चक्कर लगा रहे उपग्रह का कोणीय संवेग $L$ है। यदि उपग्रह की दूरी $r$ से बढ़ाकर $16 r$ कर दी जाये तो इसका कोणीय संवेग हो जायेगा
$R$ त्रिज्या के वृत्ताकार पथ पर घूमते हुए उपग्रह का परिक्रमण काल $T$ है। $4R$ त्रिज्या की वृत्तीय कक्षा में घूम रहे एक अन्य उपग्रह का परिक्रमण काल होगा
$S_J$ तथा $S_2$ दो उपग्रह किसी ग्रह के चारों ओर समतलीय संकेन्द्रीय वृत्तीय (coplanar circular concentric) कक्षाओं में परस्पर विपरीत दिशाओं में घूम रहे हैं| $t=0$ समय पर दोनों उपग्रह एक दूसरे से सबसे ज्यादा दूरी पर है। $S_I$ तथा $S_2$ के आवर्त काल क्रमशः $3 \,h$ एवं $24 \,h$ है। $S_I$ की वृत्तीय कक्षा की त्रिज्या $3 \times 10^4$ कि.मी. है। तब उपग्रह $S_2$ का कक्षीय चाल (orbital speed)
कोई भू-स्थायी उपग्रह पृथ्वी की सतह से $5\, R$ की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। यहाँ $R$ पृथ्वी की त्रिज्या है। पृथ्वी की सतह से $2 \,R$ की ऊँचाई पर परिक्रमा कर रहे दूसरे उपग्रह का आवर्त काल घंटा में होगा
सूर्य के चारों ओर एक ग्रह दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में, जिसकी सूर्य से न्यूनतम दूरी $r_1$ तथा अधिकतम दूरी $r_2$ घूम रहा है। यदि इन बिन्दुओं पर रेखीय चाल क्रमशः $v_1$ तथा $v_2$ हैं। तब $\frac{v_1}{v_2}$ का अनुपात है