दो समान्तर तार एक दूसरे से $1$ मीटर-दूरी पर रखे हैं, इनमें $1\;A$ धारा प्रवाहित होती है। प्रति एकांक लम्बाई पर आकर्षण बल होगा

  • [AIPMT 1998]
  • A

    $1\,N/m$

  • B

    $2 \times {10^{ - 7}}\,N/m$

  • C

    $1 \times {10^{ - 2}}\,N/m$

  • D

    $4\pi \times {10^{ - 7}}\,N/m$

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एक स्थिर क्षैतिज तार में $200\, A$ धारा प्रवाहित हो रही है। एक अन्य तार, जिसका रेखीय द्रव्यमान घनत्व ${10^{ - 2}}\,kg/m$ है, को प्रथम तार के $2\, cm$ नीचे (समान्तर) रखा गया है। यदि यह तार वायु में बिना किसी सहारे के तैरता है तो इस तार में प्रवाहित धारा का परिमाण व दिशा होंगे

एक सीधे धारावाही चालक में $5A$ की धारा प्रवाहित हो रही है। एक इलेक्ट्रॉन चालक के समान्तर $0.1$ मीटर की दूरी पर $5 \times {10^6}\,m{s^{ - 1}}$ की चाल से गति कर रहा है, इस पर लगने वाला बल है

एक परिनालिका जो $60 \,cm$ लंबी है, जिसकी त्रिज्या $4.0\, cm$ है और जिसमें $300$ फेरों वाली $3$ परतें लपेटी गई हैं। इसके भीतर एक $2.0 \,cm$ लंबा, $2.5 \,g$ द्रव्यमान का तार इसके ( केंद्र के निकट) अक्ष के लंबवत रखा है। तार एवं परिनालिका का अक्ष दोनों क्षैतिज तल में हैं। तार को परिनालिका के समांतर दो वाही संयोजकों द्वारा एक बाह्य बैटरी से जोड़ा गया है जो इसमें $6.0 \,A$ विध्यूत धारा प्रदान करती है। किस मान की विध्यूत धारा ( परिवहन की उचित दिशा के साथ ) इस परिनालिका के फेरों में प्रवाहित होने पर तार का भार सँभाल सकेगी? $g=9.8 \,m s ^{-2}$

यहाँ आरेखा में तीन समान्तर तारों की एक व्यवस्था दर्शायी गई है। ये तार इस पेपर (पृष्ठ) के तल के लम्बवत् हैं और सभी से $'I'$ विधुतधारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है। इन तीनों के बीच में स्थित, तार $'B'$ की प्रति इकाई लम्बाई पर लगने वाले बल का परिमाण होगा :

  • [NEET 2017]

चित्र में दिखाई गई आयताकार कुण्डली पर परिणामी बल है