एक परिनालिका जो $60 \,cm$ लंबी है, जिसकी त्रिज्या $4.0\, cm$ है और जिसमें $300$ फेरों वाली $3$ परतें लपेटी गई हैं। इसके भीतर एक $2.0 \,cm$ लंबा, $2.5 \,g$ द्रव्यमान का तार इसके ( केंद्र के निकट) अक्ष के लंबवत रखा है। तार एवं परिनालिका का अक्ष दोनों क्षैतिज तल में हैं। तार को परिनालिका के समांतर दो वाही संयोजकों द्वारा एक बाह्य बैटरी से जोड़ा गया है जो इसमें $6.0 \,A$ विध्यूत धारा प्रदान करती है। किस मान की विध्यूत धारा ( परिवहन की उचित दिशा के साथ ) इस परिनालिका के फेरों में प्रवाहित होने पर तार का भार सँभाल सकेगी? $g=9.8 \,m s ^{-2}$

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Length of the solenoid, $L=60 \,cm =0.6 \,m$

Radius of the solenoid, $r=4.0\, cm =0.04 \,m$

It is given that there are $3$ layers of windings of $300$ turns each.

$\therefore$ Total number of turns, $n=3 \times 300=900$

Length of the wire, $I=2 \,cm =0.02\, m$

Mass of the wire, $m=2.5 \,g=2.5 \times 10^{-3}\, kg$

Current flowing through the wire, $i=6 \,A$

Acceleration due to gravity, $g=9.8 \,m / s ^{2}$

Magnetic field produced inside the solenoid,

$B=\frac{\mu_{0} n I}{L}$

Where, $\mu_{0}=$ Permeability of free space $=4 \pi \times 10^{-7} \,T\,m\, A ^{-1}$

$I=$ Current flowing through the windings of the solenoid

Magnetic force is given by the relation,

$F=B i l$

$=\frac{\mu_{0} n I}{L} i l$

Also, the force on the wire is equal to the weight of the wire.

$\therefore m g=\frac{\mu_{0} n I i l}{L}$

$I=\frac{m g L}{\mu_{0} n i l}$

$=\frac{2.5 \times 10^{-3} \times 9.8 \times 0.6}{4 \pi \times 10^{-7} \times 900 \times 0.02 \times 6}=108\, A$

Hence, the current flowing through the solenoid is $108 \,A$

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