प्रदर्शित चित्र में दो लम्बे सीधे तारों में समान धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है। तारों के बीच की दूरी $5.0$ सेमी. है। तारों के मध्य एक बिन्दु $P$ पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण . . . . . . . . $\mu \mathrm{T}$ है।
(दिया है : $\mu_0=4 \pi \times 10^{-7} \mathrm{TmA}^{-1}$ )
$65$
$34$
$14$
$160$
$0.1\, m$ की दूरी पर एक-दूसरे के समान्तर स्थित दो तारों में से प्रत्येक में $5\, A$ की धारा प्रवाहित हो रही है। प्रत्येक तार की प्रति मीटर लम्बाई पर लगने वाले बल का मान होगा
एक कमानीदार तुला के कुचालक हैंगर की सहायता से एक $a$ भुजा वाले वर्ग को लटकाया गया है। $B$ तीव्रता का चुम्बकीय क्षेत्र चित्रानुसार केवल वर्ग की निचली भुजा पर कार्यरत है। वर्गाकार लूप में प्रवाहित धारा $I$ है तब धारा की दिशा परिवर्तित करने पर तुला के पाठ्यांक में परिवर्तन है
समकोण समद्विबाहु त्रिभुज के आकार के एक बन्द पाश $ABC$ में विधुत धारा प्रवाहित हो रही है। इसे किसी एकसमान $AB$ दिशा के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। यदि भुजा $BC$ पर चुम्बकीय बल $\overrightarrow{ F }$ हो तब भुजा $AC$ पर बल होगा :
$l$ लम्बाई के एक वृत्ताकार तार में धारा $I$ प्रवाहित हो रही है। इसे एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र $\mathop B\limits^ \to $ (पृष्ठ के बाहर की ओर) में इस प्रकार रखा गया है कि इसका तल चुम्बकीय क्षेत्र $\mathop B\limits^ \to $ की दिशा के लम्बवत् है। यह तार अनुभव करेगा
एक आयताकार कुण्डली में से $i$ धारा प्रवाहित हो रही है। इस कुण्डली को तार के समीप इस प्रकार रखा जाता है कि इसकी एक भुजा तार के समानान्तर रहे। यदि तार में से स्थायी धारा $I$ प्रवाहित हो रही है, तब कुण्डली