दो संकेन्द्री कुण्डलियाँ, जिनमें प्रत्येक की त्रिज्या $2\pi \,{\rm{ }}cm$ है, एक-दूसरे के लम्बवत् रखी हैं। इनमें से एक कुण्डली में $3$ ऐम्पियर तथा दूसरी में $4$ ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है। इन कुण्डलियों के केन्द्र पर बेवर प्रति मीटर$^2$ में चुम्बकीय प्रेरण होगा $({\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}\,Wb/A.m)$
$5 \times {10^{ - 5}}$
$7 \times {10^{ - 5}}$
$12 \times {10^{ - 5}}$
${10^{ - 5}}$
एक वृत्तीय कुण्डली जिसकी त्रिज्या $0.1\, m$ है तथा इसमें फेरों की संख्या $1000$ है। यदि कुण्डली में $0.1\, A$ की धारा बह रही है तो कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा
एक इलेक्ट्रॉन एक प्रोटॉन के चारो ओर वृत्तीय मार्ग पर घूम रहा है। यदि वृत्तीय कक्षा की त्रिज्या $1\,\mathop A\limits^o $ एवं इलेक्ट्रॉन के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र $16\, weber/m^2$ हो तब इसका कोणीय संवेग होगा
एक कण जिस पर इलेक्ट्रॉन से $100$ गुना आवेश है $0.8$ मीटर त्रिज्या के एक वृत्तीय पथ में घूर्णन कर रहा है। केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र होगा $({\mu _0} = $ निर्वात् की चुम्बकशीलता है)
दो बहुत पतले धात्विक तार अक्ष $X$ और $Y$ पर हैं तथा दोनों में बराबर धारा है जैसा यहाँ दिखाया गया है। $AB$ और $CD$ दो रेखाएँ अक्षेां से $45^\circ $ पर हैं तथा अक्षों का मूल बिन्दु $O$ है। चुम्बकीय क्षेत्र, जिस रेखा पर शून्य होगा, वह है
चित्र में बिन्दु $\mathrm{P}$ पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए। एक अर्द्धवृत्ताकार वक्र भाग दो सीधे लम्बे तारों से जुड़ा है।