दो समकेंद्रिक वृत्ताकार कुंडलियाँ $X$ और $Y$ जिनकी त्रिज्याएँ क्रमशः $16\, cm$ एवं $10\, cm$ हैं, उत्तर-दक्षिण दिशा में समान ऊध्वाधर तल में अवस्थित हैं। कुंडली $X$ में $20$ फेरे हैं और इसमें $16 \,A$ विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, कुंडली $Y$ में $25$ फेरे हैं और इसमें $18\, A$ विध्यूत धारा प्रवाहित हो रही है। पश्चिम की ओर मुख करके खड़ा एक प्रेक्षक देखता है कि $X$ में धारा प्रवाह वामावर्त है जबकि $Y$ में दक्षिणावर्त है। कुंडलियों के केंद्र पर, उनमें प्रवाहित विध्यूत धाराओं के कारण उत्पन्न कुल चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
Radius of coil $X , I _{1}=16 \,cm =0.16 \,m$
Radius of coil $Y , r_{2}=10 \,cm =0.1 \,m$
Number of turns of on $\operatorname{coil} X , n_{1}=20$
Number of turns of on coil $Y , n_{2}=25$
Current in $\operatorname{coil} X , I_{1}=16 \,A$
Current in coil $Y , I_{2}=18 \,A$
Magnetic field due to coil $X$ at their centre is given by the relation,
$B_{1}=\frac{\mu_{0} n_{1} I_{1}}{2 r_{1}}$
Where, $\mu_{0}=$ Permeability of free space $=4 \pi \times 10^{-4} \,T\,m\, A ^{-1}$
$\therefore B_{1}=\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 20 \times 16}{2 \times 0.16}$
$=4 \pi \times 10^{-4} \,T$ (towards East) Magnetic field due to coil Y at their centre is given by the relation,
$B_{2}=\frac{\mu_{0} n_{2} I_{2}}{2 r_{2}}$
$=\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 25 \times 18}{2 \times 0.10}$
$=9 \pi \times 10^{-4} \,T$ (towards West)
Hence, net magnetic field can be obtained as:
$B=B_{2}-B_{1}$
$=9 \pi \times 10^{-4}-4 \pi \times 10^{-4}$
$=5 \pi \times 10^{-4}\, T$
$=1.57 \times 10^{-3}\; T$ (towards West)
$4 \pi$ मीटर लम्बाई के एक तार को मोड़कर एक $6$ भुजाओं का समबहुभुज बनया गया है। बहुभुज की भुजाओं से होकर बहने वाली धारा $4 \pi \sqrt{3}$ ऐम्पियर हो तो बहुभुज के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र $x \times 10^{-7}$ टेस्ला होगा। $x$ का मान ___ है।
एक ऋजुरेखीय ऊध्र्वाधर चालक में ऊपर की ओर धारा बह रही है। $P$ एवं $Q$ दो बिन्दु, चालक के क्रमश: पूर्व एवं पश्चिम दिशा में समान दूरी पर स्थित हैं। $P$ पर चुम्बकीय क्षेत्र होगा
एक धारा लूप $A B C D$ कागज के तल पर स्थिर रखा गया है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। लूप के चाप $B C$ (त्रिज्या $= b$ ) और चाप $D A($ त्रिज्या $=a$ ) को दो सीधे तारों $A B$ और $C D$ से जोड़ा जाता है। लूप में एक स्थिर धारा $I$ प्रवाहित हो रही है। $A B$ और $C D$ द्वारा मूल बिन्दु $O$ पर बना कोण $30^{\circ}$ है। एक अन्य सीधा पतला तार, जिसमें कागज़ के तल से बाहर स्थिर धारा $I_{1}$ प्रवाहित हो रही है, मूल बिन्दु पर रखा गया है।
लूप $A B C D$ के कारण मूलबिन्दु $(O)$ पर चुम्बकीय क्षेत्र $(B)$ का परिमाण है :
किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र $B$ एवं ऊर्जा घनत्व $U$ है तब निम्न में से सही ग्राफ हैं
$\mathrm{r}$ त्रिज्या के एक वृत्ताकार पाश में $\mathrm{IA}$ धारा बहती है। वृत्ताकार पाश के केन्द्र तथा इसकी अक्ष पर पाश के केन्द्र से $\mathrm{r}$ दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र का अनुपात है: