दो कुंडलियों का पारस्परिक प्रेरकत्व $0.002 \mathrm{H}$ है। प्रथम कुंडली में धारा $\mathrm{i}=\mathrm{i}_0 \sin \omega \mathrm{t}$ संबन्ध द्वारा परिवर्तित होती है, जहाँ $\mathrm{i}_0=5 \mathrm{~A}$ तथा $\omega=50 \pi \mathrm{rad} / \mathrm{s}$ है। द्वितीय कुंडली में वि.वा. बल का अधिकतम मान $\frac{\pi}{\alpha} \mathrm{V}$ है। $\alpha$ का मान __है।

  • [JEE MAIN 2024]
  • A

    $10$

  • B

    $7$

  • C

    $2$

  • D

    $73$

Similar Questions

एक प्रेरण कुण्डली का अन्योन्य प्रेरकत्व $5\,H$ है। यदि प्राथमिक कुण्डली में ${10^{ - 3}}\,s$ में धारा $5\,A$ से घटकर शून्य हो जाती है। द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का मान .......$V$ होगा

दो कुण्डली के अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ाया जा सकता है

दो कुण्डलियों के स्वप्रेरण $2\, mH$ तथा $8\, mH$ हैं। दोनों को इतना नजदीक रखा गया कि पहली कुण्डली का चुम्बकीय फ्लक्स दूसरी से भी लिंक हो सके। तो इनके बीच अन्त: प्रेरण ......$  mH$ है :

  • [AIPMT 2006]

दो कुण्डलियों, $A$ और $B$ में फेरों की संख्या क्रमश: $300$ व $600$ है तथा वे एक दूसरे के पास-पास रखी हैं। कुण्डली $A$ में $3.0$ ऐम्पियर धारा करने पर $A$ से संलग्न फ्लक्स $1.2 \times {10^{ - 4}}\,weber$ है तथा $B$ से संलग्न फ्लक्स $9.0 \times {10^{ - 5}}\,weber$ है। इनका अन्योन्य प्रेरकत्व है

$0.3\, cm$ त्रिज्या का एक वृत्ताकार लूप, इससे अधिक बड़े, $20\, cm$ त्रिज्या के वृत्ताकार लूप के समांतर रखा है। छोटे लूप का केन्द्र, बड़े लूप की अक्ष पर हैं। उनके केन्द्रों के बीच की दूरी $15\, cm$ हैं। यदि छोटे लूप से $2.0\, A$ की धारा प्रवाहित हो रही हैं, तो बड़े लूप से संबद्ध फ्लक्स का मान होगा

  • [JEE MAIN 2013]