$0.3\, cm$ त्रिज्या का एक वृत्ताकार लूप, इससे अधिक बड़े, $20\, cm$ त्रिज्या के वृत्ताकार लूप के समांतर रखा है। छोटे लूप का केन्द्र, बड़े लूप की अक्ष पर हैं। उनके केन्द्रों के बीच की दूरी $15\, cm$ हैं। यदि छोटे लूप से $2.0\, A$ की धारा प्रवाहित हो रही हैं, तो बड़े लूप से संबद्ध फ्लक्स का मान होगा
$6.6 \times 10^{-9}$ वेबर
$9.1 \times 10^{-11} $ वेबर
$6.0 \times 10^{-11} $ वेबर
$3.3 \times 10^{-11} $ वेबर
तार से बने त्रिज्या $a$ के छोटे वृत्ताकार वलय को त्रिज्या $b$ के एक बृहत् वृत्ताकार वलय के केन्द्र पर रखा गया है। दोनों वलय एक ही समतल में हैं। त्रिज्या $b$ के बाह्य वलय में एक प्रत्यावर्ती धारा $I=I_{0} \cos (\omega t)$ प्रवाहित की जाती है। त्रिज्या $a$ वाले आन्तरिक वलय में प्रेरित विद्युत वाहक बल होगा
$0.30$ मीटर लम्बी एक परिनालिका में फेरों की संख्या $2000$ है। इसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.2 \times {10^{ - 3}}{m^2}$ है। इसके केन्द्रीय भाग पर एक कुण्डली के $300$ फेरे लगाये गये हैं। यदि $2A$ की प्रारम्भिक धारा को $0.25$ सैकण्ड में विपरीत कर दिया जाता है, तो कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा
${\rm{S}}\,{\rm{I}}$ पद्धति में हेनरी मात्रक है
${L_1}$ और ${L_2}$ स्वप्रेरकत्व वाली दो कुण्डलियों को एक दूसरे के निकट रखा जाता है कि सम्पूर्ण फ्लक्स एक दूसरे के साथ सम्बन्धित रहते हैं, यदि अन्योन्य प्रेरकत्व गुणांक $M$ है तो $M$...
यदि प्राथमिक कुण्डली में बहने वाली $3.0$ ऐम्पियर धारा को $0.001$ सैकण्ड में शून्य कर दिया जाये, तो द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल $15000$ वोल्ट होता है। इन कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरण गुणांक.......हेनरी है