दो कुण्डलियों, $A$ और $B$ में फेरों की संख्या क्रमश: $300$ व $600$ है तथा वे एक दूसरे के पास-पास रखी हैं। कुण्डली $A$ में $3.0$ ऐम्पियर धारा करने पर $A$ से संलग्न फ्लक्स $1.2 \times {10^{ - 4}}\,weber$ है तथा $B$ से संलग्न फ्लक्स $9.0 \times {10^{ - 5}}\,weber$ है। इनका अन्योन्य प्रेरकत्व है
$2 ×10^{-5} $ हेनरी
$3 ×10^{-5} $ हेनरी
$4 ×10^{-5} $ हेनरी
$6 ×10^{-5} $ हेनरी
यदि प्राथमिक कुण्डली में बहने वाली $3.0$ ऐम्पियर धारा को $0.001$ सैकण्ड में शून्य कर दिया जाये, तो द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल $15000$ वोल्ट होता है। इन कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरण गुणांक.......हेनरी है
$l$ भुजा वाला, तार का एक छोटा वगोकार घेरा, $L$ भुजा वाले, तार के एक बड़े वर्गाकार घेरे के अन्दर रखा है, यहाँ $( L \gg l)$ है। चित्र में दर्शाये अनुसार, दोनों घेरे एक ही तल में रखे हैं, एवं दोनों के केन्द्र बिन्दु $O$ पर सम्पाती हैं। निकाय का पारस्परिक प्रेरकत्व होगा :
${R_1}$ व ${R_2}$ त्रिज्या के दो वृत्तीय चालक लूप, जिनके केन्द्र एक ही बिन्दु पर हैं, एक ही तल पर रखे हैं। यदि ${R_1} > > {R_2}$, तो उनके बीच अन्योन्य प्रेरकत्व $M$ अनुक्रमानुपाती होगा
${L_1}$ और ${L_2}$ स्वप्रेरकत्व वाली दो कुण्डलियों को एक दूसरे के निकट रखा जाता है कि सम्पूर्ण फ्लक्स एक दूसरे के साथ सम्बन्धित रहते हैं, यदि अन्योन्य प्रेरकत्व गुणांक $M$ है तो $M$...
एक प्रेरण कुण्डली का अन्योन्य प्रेरकत्व $5\,H$ है। यदि प्राथमिक कुण्डली में ${10^{ - 3}}\,s$ में धारा $5\,A$ से घटकर शून्य हो जाती है। द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का मान .......$V$ होगा