दो परिपथों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक $0.09$ हेनरी है। यदि प्राथमिक कुण्डली में धारा $0.006$ सैकण्ड में $0$ से $20$ ऐम्पियर हो जाती है, तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का औसत मान .....वोल्ट होगा
$120$
$80$
$200$
$300$
$0.30$ मीटर लम्बी एक परिनालिका में फेरों की संख्या $2000$ है। इसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.2 \times {10^{ - 3}}{m^2}$ है। इसके केन्द्रीय भाग पर एक कुण्डली के $300$ फेरे लगाये गये हैं। यदि $2A$ की प्रारम्भिक धारा को $0.25$ सैकण्ड में विपरीत कर दिया जाता है, तो कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा
दो कुण्डली के अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ाया जा सकता है
एक ' $R$ ' त्रिज्या वाले तार के एक छोटे वृत्ताकार पाश का भुजा $\mathrm{L}(\mathrm{L}>\mathrm{R})$ के तार के एक बड़े वर्गाकार पाश के अन्दर रखा गया है, इस व्यवस्था में अन्योन्य प्रेरकत्व ज्ञात कीजिए। दोनो पाश सह-तलीय तथा सकेन्द्रिय हैं।
दो कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व $1.25$ हेनरी है। यदि प्राथमिक कुण्डली में धारा $80$ ऐम्पियर/सैकण्ड की दर से परिवर्तित होती है, तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल ...... वोल्ट होगा
$l$ भुजा वाला, तार का एक छोटा वगोकार घेरा, $L$ भुजा वाले, तार के एक बड़े वर्गाकार घेरे के अन्दर रखा है, यहाँ $( L \gg l)$ है। चित्र में दर्शाये अनुसार, दोनों घेरे एक ही तल में रखे हैं, एवं दोनों के केन्द्र बिन्दु $O$ पर सम्पाती हैं। निकाय का पारस्परिक प्रेरकत्व होगा :