$0.30$ मीटर लम्बी एक परिनालिका में फेरों की संख्या $2000$ है। इसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.2 \times {10^{ - 3}}{m^2}$ है। इसके केन्द्रीय भाग पर एक कुण्डली के $300$ फेरे लगाये गये हैं। यदि $2A$ की प्रारम्भिक धारा को $0.25$ सैकण्ड में विपरीत कर दिया जाता है, तो कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा

  • A

    $6 \times {10^{ - 4}}\,V$

  • B

    $4.8 \times {10^{ - 3}}\,V$

  • C

    $6 \times {10^{ - 2}}\,V$

  • D

    $48 \,mV$

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दो कुण्डलियों, $A$ और $B$ में फेरों की संख्या क्रमश: $300$ व $600$ है तथा वे एक दूसरे के पास-पास रखी हैं। कुण्डली $A$ में $3.0$ ऐम्पियर धारा करने पर $A$ से संलग्न फ्लक्स $1.2 \times {10^{ - 4}}\,weber$ है तथा $B$ से संलग्न फ्लक्स $9.0 \times {10^{ - 5}}\,weber$ है। इनका अन्योन्य प्रेरकत्व है

जब एक कुण्डली में बहने वाली धारा $0.1$ सैकण्ड में $10$ ऐम्पियर से शून्य कर दी जाती है तो नजदीक रखी दूसरी कुण्डली में $100$ मिली वोल्ट का वि. वा. बल प्रेरित होता है। दोनों कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मान ......मिली हेनरी होगा

भुजा ' $a$ ' तथा एक फेरे वाला छोटा वर्गाकार लूप, भुजा $b$ तथा एक फेरे $( b \gg$ a) वाले बड़े वर्गाकार लूप के अन्दर रखा है। ये दोनों लूप समतलीय हैं तथा उनके केन्द्र संपाति हैं। यदि भुजा ' $b$ ' के वर्गाकार लूप में $I$ धारा प्रवाहित की जाती है, तो दोनों लूपों के बीच पारस्परिक प्रेरकत्व है :

  • [JEE MAIN 2021]

दो कुण्डली के अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ाया जा सकता है

यदि प्राथमिक कुण्डली में बहने वाली  $3.0$ ऐम्पियर धारा को $0.001$ सैकण्ड में शून्य कर दिया जाये, तो द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल $15000$ वोल्ट होता है। इन कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरण गुणांक.......हेनरी है