पृथ्वी के पृष्ठ से जरा ऊपर वातावरण में साधारणतया उपस्थित असत विद्युत क्षेत्र का परिमाण $150\; N / C$ के लगभग है जिसकी दिशा पृथ्वी के केन्द्र की ओर अन्तरमुखी है। यह पृथ्वी द्वारा वाहक परिणामी पृष्ठ आवेश देगा :
[दिया है $\epsilon_{ o }=8.85 \times 10^{-12} \;C ^{2} / N - m ^{2}$, $R _{ E }=6.37 \times 10^{6}\; m$ ]
$ + 670$
$ - 670$
$ - 680$
$ + 680$
निम्न चित्र में आवेश वितरण प्रदर्शित है। इन आवेशों के कारण पृष्ठ $S$ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स है
$1$ मिलीमीटर त्रिज्या के सीधे लम्बे तार पर एकसमान आवेश वितरित है। तार पर प्रति सेमी. लम्बाई आवेश $Q$ कूलॉम है। अन्य बेलनाकार पृष्ठ जिसकी त्रिज्या $50$ सेमी. तथा लम्बाई $1$ मीटर है चित्रानुसार सममिति रूप से तार को घेरता है। बेलनाकार पृष्ठ से गुजरने वाला कुल विद्युत फ्लक्स है
मूलबिन्दु पर अवस्थित $2 \times 10^{-9}\, m ^{3}$ के किसी वार्धिक आयतन में परिबद्ध कुल आवेश $......\,nC$ होगा, यदि इसके क्षेत्र का विधुत फ्लक्स घनत्व $D = e ^{- x } \sin y \hat{ i }- e ^{- x } \cos y \hat{ j }+2 z \hat{ k } C / m ^{2}$ पाया जाता है।
एक आवेश $q$ बेलनाकार पात्र के खुले मुँह के केन्द्र पर रखा है इस पात्र की सतह से गुजरने वाला फ्लक्स होगा
यदि एक आवेश $q$ को एक अचालक बंद अर्द्धगोलाकार सतह के केन्द्र पर रखा जाता है तो समतल सतह से गुजरने वाला कुल फ्लक्स होगा