प्रेरण कुण्डली किस सिद्धांत पर कार्य करती है
स्वप्रेरण
अन्योन्य प्रेरण
ऐम्पियर नियम
फ्लेमिंग का बायें हाथ का नियम
$\ell$ भुजा के तार के एक छोटे वर्गाकार लूप को $\mathrm{L}\left(\mathrm{L}=\ell^2\right)$ भुजा के एक बड़े वर्गाकार लूप के अन्दर रखा गया है। लूप समतलीय व संकेन्दीय है। निकाय के पारस्परिक प्रेरकत्व का मान $\sqrt{\mathrm{x}} \times 10^{-7} \mathrm{H}$ है, जहाँ $\mathrm{x}=$. . . . . .
${\rm{S}}\,{\rm{I}}$ पद्धति में हेनरी मात्रक है
$l$ भुजा वाला, तार का एक छोटा वगोकार घेरा, $L$ भुजा वाले, तार के एक बड़े वर्गाकार घेरे के अन्दर रखा है, यहाँ $( L \gg l)$ है। चित्र में दर्शाये अनुसार, दोनों घेरे एक ही तल में रखे हैं, एवं दोनों के केन्द्र बिन्दु $O$ पर सम्पाती हैं। निकाय का पारस्परिक प्रेरकत्व होगा :
दो परिपथों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक $0.09$ हेनरी है। यदि प्राथमिक कुण्डली में धारा $0.006$ सैकण्ड में $0$ से $20$ ऐम्पियर हो जाती है, तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का औसत मान .....वोल्ट होगा
$0.30$ मीटर लम्बी एक परिनालिका में फेरों की संख्या $2000$ है। इसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.2 \times {10^{ - 3}}{m^2}$ है। इसके केन्द्रीय भाग पर एक कुण्डली के $300$ फेरे लगाये गये हैं। यदि $2A$ की प्रारम्भिक धारा को $0.25$ सैकण्ड में विपरीत कर दिया जाता है, तो कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा