विमीय विश्लेषण की नींव किसके द्वारा रखी गयी
गैलीलियो
न्यूटन
फोरियर
जूल
यदि लम्बाई की विमायें ${G^x}{c^y}{h^z}$ से प्रदर्शित की जाती हैं, जहाँ $G,\,c$ और $h$ क्रमश: सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक, प्रकाश का वेग और प्लांक नियतांक हैं, तो
एक पिण्ड की स्थिति, जो त्वरण 'a' से गतिशील है, व्यंजक $x = K{a^m}{t^n}$ से प्रदर्शित है, जहाँ t समय है। $m$ एवं $n$ की विमा होगी
एक अतिभारी ब्लैक होल (black hole), जिसका द्रव्यमान $m$ एवं त्रिज्या $R$ है, $\omega$ कोणीय वेग से चक्रण (spin) कर रहा है । यदि इसके द्वारा गुरूत्वीय तरंग (gravitational waves) के रूप में' विकिरित शक्ति $P$ का मान $P=G c^{-5} m^x R^y \omega^z$ है, जहाँ $c$ एवं $G$ क्रमशः प्रकाश का निर्वात में चाल और सार्वत्रिक गुरूत्वीय नियतांक है, तो
एक सरल लोलक पर विचार कीजिए, जिसमें गोलक को एक धागे से बाँध कर लटकाया गया है और जो गुरुत्व बल के अधीन दोलन कर रहा है। मान लीजिए कि इस लोलक का दोलन काल इसकी लम्बाई $(l)$, गोलक के द्रब्यमान $(m)$ और गुर्त्वीय त्वरण $(g)$ पर निर्भर करता है। विमाओं की विधि का उपयोग करके इसके दोलन-काल के लिए सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
दिये गये सम्बन्ध $y = a\cos (\omega t - kx)$ में $k$ का विमीय सूत्र है