वैद्युत विभव एवं दूरी $(x)$ के बीच सम्बन्ध को निम्न रूप में दर्शाया गया है $V = (5{x^2} + 10x - 9)\,$वोल्ट। $x = 1$ मीटर पर वैद्युत क्षेत्र का मान .......$V/m$ होगा
$-20$
$6$
$11$
$ - 23$
किसी स्थिरवैद्युत आवेश वितरण का विभव निम्न समीकरण के द्वारा दिया गया है $V(r)=\frac{q e^{-\alpha r}}{4 \pi \varepsilon_0 r}$ जहां $\alpha$ धनात्मक है। एक $1 / \alpha$ त्रिज्या के गोले, जिसका केंद्र मूल बिन्दु (origin) पर है, के अंदर कुल आवेश होगा:
एकसमान वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ${E_0}$ की दिशा $X - $ अक्ष के धनात्मक के अनुदिश है। यदि $x = 0$ पर विभव $V = 0$ है, तो इसका मान $x = + x$ दूरी पर होगा
एक आवेशित गोल गेंद के अन्दर स्थिर विध्युत विभव $\phi=a r^{2}+b$ से दिया जाता है, जहाँ $r$ केन्द्र से दूरी हैं $a, b$ स्थिरांक है। तब गेंद के अन्दर आवेश घनत्व हैं:
$0.01 m$ की दूरी द्वारा पृथक्कृत दो बड़ी वृत्तीय चकतियों को चित्र में दर्शाए अनुसार एक स्विच द्वारा एक बैटरी से संयोजित किया जाता है। घनत्व $900 kg m ^{-3}$ की आवेशित तेल की बूँदों को शीर्ष चकती के केन्द्र पर एक महिन छिद्र से छोड़ा जाता है। जब कुछ तेल की बूँदें टर्मिनल वेग प्राप्त करती है, तब चकतियों के सिरों पर $200 V$ की वोल्टता आरोपित करके स्विच को बन्द किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप, त्रिज्या $8 \times 10^{-7} m$ की तेल की एक बूँद ऊर्ध्वाधर रूप से गति करना बन्द कर देती है तथा चकतियों के मध्य तैरती है। इस तेल की बूँद में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या. . . . . . है। (उत्प्लावन बल को नगण्य माने, गुरूत्वीय त्वरण $=10 ms ^{-2}$ तथा इलेक्ट्रॉन ($e$) पर आवेश $=1.6 \times 10^{-19} C$ लें)
आवेश-घनत्व $\rho(r)$ के किसी गोलीय-आवेश-वितरण, के अन्दर $N$ समविभव-पृष्ठ, जिनकी विभव है $V _{0}, V _{0}+\Delta V , V _{0}+2 \Delta V , \ldots \ldots V _{0}+ N \Delta V$ $(\Delta V >0)$, आरेखित किये गये हैं और उनकी त्रिज्याऐं क्रमश: $r_{0}, r_{1}, r_{2}, \ldots \ldots \ldots . . r_{N}$ हैं। यदि त्रिज्याओं का अन्तराल, सभी $V _{0}$ तथा $\Delta V$ के मानों के लिये, स्थिर है तब