$25\,\mu C$ और $36\,\mu C$ दो बिन्दु आवेशों के मध्य की दूरी $11\,cm$ है। दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के किस बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य होगी
$25\,\mu C$ आवेश से $5\,cm$ की दूरी पर
$36\,\mu C$ आवेश से $5\,cm$ की दूरी पर
$25\,\mu C$ आवेश से $10\,cm$ की दूरी पर
$36\,\mu C$ आवेश से $11\,cm$ की दूरी पर
$5$ नेनोकूलॉम (परिमाण) के अनन्त संख्या में आवेश $X$-अक्ष के अनुदिश $x = 1$सेमी, $x = 2$ सेमी, $x = 4$ सेमी $x = 8$ सेमी. ………. पर रखे गये हैं। इस व्यवस्था में यदि दो क्रमागत आवेश विपरीत प्रकृति के हों तो $x = 0$ पर न्यूटन कूलॉम में विद्युत क्षेत्र होगा $\left( {\frac{1}{{4\pi {\varepsilon _0}}} = 9 \times {{10}^9}\,N - {m^2}/{c^2}} \right)$
एक धनावेशित पतली धातु की वलय जिसकी त्रिज्या $R$, $xy$-तल में स्थित है तथा इसका केन्द्र मूल बिन्दु $O$ पर है। एक ऋणावेशित कण $P$ विराम अवस्था से बिन्दु $(0,\,0,\,{z_0})$ से छोड़ा जाता है, यहाँ ${z_0} > 0$ तो $P$ की गति होगी
किसी सपाट वृत्तीय चकती पर आवेश $ + Q$ एकसमान वितरित है। आवेश$ + q$ को $E$ गतिज ऊर्जा से चकती की ओर, इसके लम्बवत् अक्ष के अनुदिश फेंका जाता है। आवेश $q$
$ABC$ एक समबाहु त्रिभुज है। प्रत्येक शीर्ष पर $ + \,q$ आवेश रखा गया है। बिन्दु $O$ पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता होगी
$5.0\, \mu C$ आवेश वाला और द्रव्यमान $2 \,g$ का एक सरल दोलक का बॉब तीव्रता $2000\, V / m$ के एक एकसमान क्षैतिज विधुत क्षेत्र में विराम अवस्था पर है। साम्यावस्था में, ऊर्ध्वाधर से दोलक जो कोण बनाएगा, वह है :
$(g=10\, m / s ^{2}$ लें $)$