यदि $a$ त्रिज्या का एक गोला $v$ चाल से $\eta$ श्यानता नियताकं के एक द्रव में चलता है, तो स्टोक के नियमानुसार (Stoke's Law) उस पर $F$ श्यानता बल लगता है, जिसे निम्न समीकरण से दिखाया गया है : $F=6 \pi \eta a v$ यदि यह द्रव एक बेलनाकार नली, जिसकी त्रिज्या $r$, लंबाई 1 , एवं दोनों सिरों पर दाबांतर $P$ है, के अंदर बह रहा है, तब जल का $t$ समय में बहा हुआ आयतन निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है:
$\stackrel{v}{t}=k\left(\frac{p}{l}\right)^a \eta^b r^c \text {, }$
जहाँ $k$ एक विमाहीन स्थिरांक है । $a, b$ एवं $c$ के सही मान निम्नलिखित हैं:
$a=1, b=-1, c=4$
$a=-1, b=1, c=4$
$a=2, b=-1, c=3$
$a=1, b=-2, c=-4$
$r$ त्रिज्या एवं $l$ लम्बाई की एक नली जिसके सिरे पर दाबान्तर $p$ है, से $\eta $ श्यानता का द्रव बह रहा है, तब प्रति सैकण्ड बहने वाले द्रव के आयतन $V$ के लिये विमीय रुप के संगत सम्बन्ध है
कोहरे की स्थिति में वह दूरी $d$, जहाँ से सिग्नल स्पष्ट रूप से दिखाई दे, जानने के लिए एक रेलवे इंजीनियर विमीय विश्लेषण का प्रयोग करता है। उसके अनुसार यह दूरी $d$ कोहरे के द्रव्यमान घनत्व $\rho$ सिग्नल के प्रकाश की तीव्रता $S$ (शक्ति/क्षेत्रफल) तथा उसकी आवृत्ति $f$ पर निर्भर है। यदि इंजीनियर $d$ को $S ^{1 / n}$ के समानुपाती पाता है, तब $n$ का मान है :
सूत्र $X = 3Y{Z^2}$ में $X$ और $Z$ क्रमश: धारिता और चुम्बकीय क्षेत्र की विमायें हैं। $MKSQ$ पद्धति में $Y$ की विमायें हैं