नाभिकीय अभिक्रिया : $X(n,\,\alpha )\,{\,_3}L{i^7}$ में, $X$ है

  • [AIEEE 2005]
  • [AIPMT 2001]
  • A

    $_5{B^{10}}$

  • B

    $_5{B^9}$

  • C

    $_5{B^{11}}$

  • D

    $_2H{e^4}$

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नाभिकीय अभिक्रिया$_{85}{X^{297}} \to Y + 4\alpha ,\;$ में  $Y$ है

एक रेडियोधर्मी नाभिक एक $\beta $ कण उत्सर्जित करता हैे तो माता तथा पुत्री नाभिक होंगे

थोरियम का एक समस्थानिक $_{90}^{232}Th$, $10$ पदों में विखण्डित होता है एवं $6 \alpha$- कण एवं $4 \beta$- कण उत्सर्जित करता है, अन्तिम उत्पाद है

$1900$ के आसपास हुई खोज के अनुसार $\beta$-क्षय प्रक्रम वास्तव में न्यूटॉन $( n )$ का क्षय होता है। प्रयोगशाला में पाया गया है कि न्यूटॉन के क्षय होने पर प्रोटॉन $( p )$ तथा एक इलेक्ट्रॉन $(\overline{ e })$ जनित होते है। इसलिये, न्यूटॉन क्षय को द्वि-पिंडी क्षय-प्रक्रम मानकर, सैद्धांतिक गणना से यह सिद्ध किया गया कि इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा का मान स्थिर रहना चाहिए। लेकिन प्रयोगों ने दिखाया कि इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा के मान का संतत स्पेक्ट्रम होता है। त्रि-पिंडी क्षय प्रक्रम मानकर, अर्थात $n \rightarrow p+\overline{ e }+\bar{v}_{ e }, 1930$ के आसपास Pauli ने इलेक्ट्रॉन का देखा गया ऊर्जा स्पेक्ट्रम समझाया। प्रति-न्यूट्रिनों ( $\left.\bar{v}_e\right)$ को द्रव्यमान रहित व नगण्य ऊर्जा का मान कर और न्यूट्रॉन को स्थिर मान कर , संवेग व ऊर्जा संरक्षण के नियम गणना में लगायें गये जिससे इलेक्टॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा को $0.8 \times 10^6 eV$ आंका गया। प्रोटॉन की गतिज ऊर्जा केवल प्रतिक्षेप ऊर्जा है। प्रति न्यूट्रीनों की अधिकतम ऊर्जा है।

$1.$ प्रति न्यूट्रीनों की अधिकतम ऊर्जा है।

$(A)$ शून्य

$(B)$ $0.8 \times 10^6 eV$ से बहुत कम

$(C)$ लगभग $0.8 \times 10^6 eV$

$(D)$ $0.8 \times 10^6 eV$ से बहुत अधिक

$2.$ यदि प्रति न्यूट्रिनों का द्रव्यमान शून्य न होकर, $3 eV / c ^2$ हो, (जहाँ $c$, प्रकाश की गति है)तब इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा, $K$, का परास होगा

$(A)$ $0 \leq K \leq 0.8 \times 10^6 \ eV$

$(B)$ $3.0 eV \leq K \leq 0.8 \times 10^6 \ eV$

$(C)$ $3.0 eV \leq K < 0.8 \times 10^6 \ eV$

$(D)$ $0 \leq K < 0.8 \times 10^6 \ eV$

इस प्रश्न के उतर दीजिये $1$ ओर $2.$

  • [IIT 2012]

$\beta$- ऋणात्मक क्षय में

  • [IIT 1987]