एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में $ I = 100\, sin\, 200\, \pi t $ द्वारा दर्शायी जाती है। इस परिपथ में धारा शून्य से बढ़कर उसके शिखर मान तक पहुंचने में लगा समय है
$\frac{1}{{100}}sec$
$\frac{1}{{200}}sec$
$\frac{1}{{300}}sec$
$\frac{1}{{400}}sec$
ओरख (चित्र ) में दिखाये गये विभवान्तर $V$ का वर्ग माध्य मूल (आर.एम.एस.) मान है:
एक $220\, V , 50\, Hz$ अनुमतांक के प्रत्यावर्ती धारा स्त्रोत को किसी प्रतिरोध से जोड़ा गया है। धारा को, उसके अधिकतम मान से वर्ग माध्य मूल मान में परिवर्तित होने में लगा समय होगा।
किसी $ac$ स्रोत की वोल्टता व समय में $S.I$. मात्रकों में निम्न सम्बन्ध है, $V = 120\sin \,\,(100\pi t)\cos \,(100\pi )$ शीर्ष वोल्टता तथा आवृत्ति का मान होगा
यदि प्रत्यावर्ती परिपथ में वोल्टेज का शिखर मान ${E_0}$ है तो इसका वर्ग माघ्य मूल मान होगा
एक प्रत्यावर्ती वोल्टेज = $200\sqrt 2 \sin (100\,t)$ को $1 \,mF$ धारिता के संधारित्र के साथ $ac$ अमीटर से जोड़ा गया है। अमीटर का पाठ्यांक.......$mA$ होगा