ओरख (चित्र ) में दिखाये गये विभवान्तर $V$ का वर्ग माध्य मूल (आर.एम.एस.) मान है:

147-63

  • [AIPMT 2011]
  • A

    $\frac{{V_0}}{{\sqrt 3 }}$

  • B

    $V_0$

  • C

    $\frac{{V_0}}{{\sqrt 2 }}$

  • D

    $\frac{{V_0}}{2}$

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           धारायें                                     वर्ग माध्य मूल मान

(1)  ${x_0}\sin \omega \,t$                                     (i)$ x_0$

(2) ${x_0}\sin \omega \,t\cos \omega \,t$                         (ii) $\frac{{{x_0}}}{{\sqrt 2 }}$

(3)${x_0}\sin \omega \,t + {x_0}\cos \omega \,t$                (iii)$\frac{{{x_0}}}{{(2\sqrt 2 )}}$

यदि तात्कालिक धारा का मान $i = 4\cos \,(\omega \,t + \phi )$ ऐम्पियर है, तो धारा का वर्ग माध्य मूल होगा

किसी $ac$ स्रोत की वोल्टता व समय में $S.I$. मात्रकों में निम्न सम्बन्ध है, $V = 120\sin \,\,(100\pi t)\cos \,(100\pi )$ शीर्ष वोल्टता तथा आवृत्ति का मान होगा

एक प्रत्यावर्ती वोल्टेज   = $200\sqrt 2 \sin (100\,t)$ को $1 \,mF$ धारिता के संधारित्र के साथ $ac$ अमीटर से जोड़ा गया है। अमीटर का पाठ्यांक.......$mA$ होगा

एक श्रेणी $L R$ परिपथ को एक वोल्टीय स्रोत $V (t)= V _{0} \sin \omega t$ से जोड़ा जाता है काफी लंबे समय बाद विद्युत धारा $I(t)$ का सही चित्रण किस तरह का होगा ? $\left(\right.$ जहाँ $\left.t_{0} >> \frac{L}{R}\right)$

  • [JEE MAIN 2016]