एक स्थान पर गुरुत्वीय त्वरण $‘g’$ मी/सै$^2$ है। यहाँ $‘d’$ किग्रा/मी$^3$ घनत्व का सीसे का एक गोला$\rho $किग्रा/मी$^3$ घनत्व के द्रव स्तम्भ में धीरे से छोड़ दिया जाता है। यदि $d > \rho $ हो, तो गोला
ऊध्र्वाधर दिशा में $‘g’$ मी/सै$^2$ के त्वरण से गिरेगा
ऊध्र्वाधर दिशा में बिना त्वरण के गिरेगा
ऊध्र्वाधर दिशा में $g\,\left( {\frac{{d - \rho }}{d}} \right)$ त्वरण से गिरेगा
ऊध्र्वाधर दिशा में $g\,\left( {\frac{{\rho }}{d}} \right)$ त्वरण से गिरेगा
माना कि पृथ्वी के घूर्णन का कोणीय वेग बढ़ा दिया जाता है। तब परिणामस्वरूप
एक ग्रह पर गुरुत्वीय त्वरण $4$ प्रतिशत यर्थाथता तक पाया जाता है। उस ग्रह पर $m$ द्रव्यमान के सरल लोलक को $T$ आवर्तकाल से दोलन कराने के लिए दी गई ऊर्जा की गणना की जाती है। यदि आवर्तकाल $3$ प्रतिशत यर्थाथता से मापा जाता है, तो ऊर्जा $E$ की यर्थाथता प्रतिशत पायी जाती है।
पृथ्वी की सतह पर गुरूत्वीय व्तरण का मान $9.8 \,ms ^{-2}$ है। पृथ्वी की सतह से वह ऊँचाई, जहाँ गुरूत्वीय त्वरण घटकर $4.9 \,ms ^{-2}$ हो जाती है, होगी : (पृथ्वी की त्रिज्या $\left.=6.4 \times 10^{6} \,m \right)$
यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान गति के अधिक मान से गति करने लगे, तो किसी वस्तु का द्रव्यमान
पृथ्वी की त्रिज्या तथा चन्द्रमा की त्रिज्या का अनुपात $10$ है। पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण तथा चन्द्रमा के गुरुत्वीय त्वरण का अनुपात $6$ है। पृथ्वी के पलायन वेग तथा चन्द्रमा के पलायन वेग का अनुपात होगा