पृथ्वी को एकसमान द्रव्यमान घनत्व का गोला मानते हुए, यदि किसी पिण्ड का भार धरातल पर $200 \mathrm{~N}$ है, तो धरातल से $d=\frac{R}{2}$ की गहराई पर इसका भार होगा (दिया है, $\mathrm{R}=$ पृथ्वी की त्रिज्या):
$400$
$500$
$300$
$100$
$1$ किग्रा द्रव्यमान का भार चन्द्रमा पर $1/6$ रह जाता है। यदि चन्द्रमा की त्रिज्या $1.768 \times {10^6}$मीटर हो तो चन्द्रमा का द्रव्यमान होगा
एक $M$ द्रव्यमान और $R$ त्रिज्या का तारा गैसों द्वारा बना हुआ है | तारा बनाने वाले गैसों के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण उत्पन्न होने वाले औसत गुरुत्वीय दबाव जो तारे को दबाता है, त्रिज्या $R$ पर इस प्रकार निर्भर करता है
यदि पृथ्वी का द्रव्यमान तथा त्रिज्या दोनों $1\%$ घटा दिये जायें तब गुरुत्वीय त्वरण का मान
यदि पृथ्वी की त्रिज्या को नियत रखते हुये, घनत्व दोगुना कर दिया जाये तो गुरुत्वीय त्वरण हो ........ $m/{s^2}$ जायेगा $(g = 9.8$ मीटर/सैकण्ड ${^2})$
पृथ्वी की सतह पर गुरूत्वीय व्तरण का मान $9.8 \,ms ^{-2}$ है। पृथ्वी की सतह से वह ऊँचाई, जहाँ गुरूत्वीय त्वरण घटकर $4.9 \,ms ^{-2}$ हो जाती है, होगी : (पृथ्वी की त्रिज्या $\left.=6.4 \times 10^{6} \,m \right)$