एक $R$ त्रिज्या के वृत्त की चाप केन्द्र पर $\frac{\pi }{2}$ कोण बनाती है। इसमें $I$ धारा बह रही है। केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र होगा

  • A

    $\frac{{{\mu _0}i}}{{2R}}$

  • B

    $\frac{{{\mu _0}i}}{{8R}}$

  • C

    $\frac{{{\mu _0}i}}{{4R}}$

  • D

    $\frac{{2{\mu _0}i}}{{5R}}$

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एक बिन्दु आवेश $Q \left(=3 \times 10^{-12} C \right), 1 \,mm$ त्रिज्या, $R$ के ऊर्ध्व वृत्त में एकसमान रूप से गति करता है। वृत्त का अक्ष पृथ्वी के चुंबकीय अक्ष की तरफ है। .........$rad / s$  कोणीय वेग, $\omega$ पर वृत्त के केंद्र पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र शून्य हो जाएगा (पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक का मान $30$ माइक्रो टेसला है)

  • [KVPY 2015]

एकसमान तार को मोड़कर $R$ त्रिज्या का एक वृत्त बनाया गया है। धारा $I$ बिन्दु $A$ पर प्रवेश करती है और बिन्दु $C$ से निकल जाती है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। यदि लम्बाई $ ABC$ लम्बाई $ADC$ की आधी है, तो केन्द्र $O$ पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा

$N$ घेरों वाली एक कुण्डली को एक स्पाइरल के रूप में कसकर इस प्रकार लपेटा जाता है कि आन्तरिक तथा बाह्य त्रिज्यायें क्रमशः $a$ तथा $b$ है। कुण्डली से धारा $I$ प्रवाहित करने पर केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र होगा।

  • [JEE MAIN 2021]

एक कुण्डली में धारा का मान एवं लपेटों की संख्या बहुत अधिक है। इसे ऊध्र्वाधर $N-S$ तल में लटकाया गया है एवं इसमें प्रवाहित धारा दक्षिणावर्ती है। एक लघु चुम्बकीय सुई को इसके केन्द्र पर रख गया है तब चुम्बकीय सुई का उत्तरी ध्रुव स्थित होगा

लम्बाई $L$ के दो एकसमान चालक तारों में से एक को वृत्ताकार वलय की आकृति में लाया जाता है तथा दूसरे को $N$ एकसमान फेरों की वृत्ताकार कुंडली में मोड़ा जाता है। यदि दोनों से एक ही धारा प्रवाहित की जाती है, तो वलय तथा कुण्डली के केन्द्रों पर उपस्थित चुम्बकीय क्षेत्र, क्रमश: $B _{ L }$ तथा $B _{ C }$ हों, तब अनुपात $\frac{ B _{ L }}{ B _{ C }}$ होगा।

  • [JEE MAIN 2019]