$20\,cm \times 20\,cm$ आयताकार कुण्डली में $100$ फेरे हैं और इसमें $1\, A$ की धारा प्रवाहित हो रही है। इसे एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र $B =0.5\, T$ में रखा गया है तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कुण्डली के तल में है। इस कुण्डली को इसी स्थिति में बनाये रखने के लिये किस मान के बल आघूर्ण की आवश्यकता ......$N-m$ होगी

  • A

    $0$

  • B

    $200$

  • C

    $2$

  • D

    $10$

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एक $50\,cm$ लम्बाई का तार $X$ जिसमें $2\,A$ की धारा प्रवाहित हो रही है, को $5\,m$ लम्बे तार $Y$ के समानान्तर रखा गया है। तार $Y$ में $3\,A$ की धारा प्रवाहित हो रही है। दोनों तारों के बीच की दूरी 5 $cm$ है एवं दोनों में एकसमान दिशा में धारा प्रवाहित हो रही है। तार $Y$ पर लगने वाला बल है:

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एक परिनालिका में प्रयुक्त वाइंडिंग तार अधिकतम $10\, A$ धारा ले सकता है। यदि परिनालिका की लम्बाई $80\,cm$ एवं इसके अनुप्रस्थ - काट की त्रिज्या $3\, cm$ है तब आवश्यक वाइंडिंग तार की लम्बाई होगी $(B = 0.2\,T)$

जैसा कि निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है, एक प्रयोग में विन्यास $A$ के अनुसार दो समानान्तर तारों में विपरीत दिशा में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है. दूसरा विन्यास $B$ पहले विन्यास $A$ के समरूप है, परन्तु इस विन्यास में दोनों तारों के बीच एक धातु की प्लेट रखी गयी है। यदि मान लें कि बिन्यास $A$ एवं $B$ में दोनों तारों के बीच लगे बलों का मान क्रमशः $F_{ A }$ एवं $F_{ B }$ है, तो

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एक पावर लाइन पूर्व-पश्चिम दिशा में है एवं इसमें  $10$ ऐम्पियर की धारा बह रही है तो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र ${10^{ - 4}}\,tesla$ के कारण पावर लाइन के प्रतिमीटर लम्बाई पर कार्यरत बल होगा

$I _{1}$ धारावाही तार के सतह में, $a$ भुजा वाली वर्गाकार दृढ पाश जिससे धारा $I _{2}$ वह रही है को क्षैतिज सतह पर, रखा गया जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। तार के कारण पाश पर कुल बल क्या होगा

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