एक लम्बे धारावाही तार, जिसमें $i$ धारा बह रही है, के एक भाग को $r$ त्रिज्या के वृत्त में चित्रानुसार मोड़ा गया है। केन्द्र $O$ पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र है
$\frac{{{\mu _o}i}}{{4r}}$
$\frac{{{\mu _o}i}}{{2r}}$
$\frac{{{\mu _o}i}}{{2\pi r}}(\pi + 1)$
$\frac{{{\mu _o}i}}{{2\pi r}}(\pi - 1)$
किसी वृत्ताकार कुण्डली के अक्ष पर इसके केन्द्र से $0.05\, m$ और $0.2 \,m$ की दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात $8: 1$ है। इस कुण्डली की त्रिज्या $.....\,m$ है।
प्रदर्शित चित्र के अनुसार एक लम्बे चालक तार को $A$ से $B$ तक अर्द्ध वृत्ताकार आकार में मोड़ा गया है। स्थिर धारा विन्यास के लिए बिन्दु $P$ पर चुम्बकीय क्षेत्र है :
${r_1}$ तथा ${r_2}$ त्रिज्याओं की दो संकेन्द्री तथा समतलीय वृत्ताकार लूपों में धाराएँ क्रमश: ${i_1}$ तथा ${i_2}$ विपरीत दिशाओं में बह रही हैं (एक में दक्षिणावर्ती तथा दूसरी में वामावर्ती)। लूपों के केन्द्र पर चुम्बकीय प्रेरण अकेले ${i_1}$ द्वारा उत्पन्न प्रेरण का आधा है। यदि ${r_2} = 2{r_1}$ हो तो ${i_2}/{i_1}$ का मान होगा
हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन $5.2 \times {10^{ - 11}}\,m$ त्रिज्या की एक वृत्तीय कक्षा में घूमता है और नाभिक पर $12.56\, T$ चुम्बकीय प्रेरण उत्पन्न करता है। इलेक्ट्रॉन की गति के कारण उत्पन्न विद्युत धारा का मान होगा (दिया है ${\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}\,Wb/A - m)$