${r_1}$ तथा ${r_2}$ त्रिज्याओं की दो संकेन्द्री तथा समतलीय वृत्ताकार लूपों में धाराएँ क्रमश: ${i_1}$ तथा ${i_2}$ विपरीत दिशाओं में बह रही हैं (एक में दक्षिणावर्ती तथा दूसरी में वामावर्ती)। लूपों के केन्द्र पर चुम्बकीय प्रेरण अकेले ${i_1}$ द्वारा उत्पन्न प्रेरण का आधा है। यदि ${r_2} = 2{r_1}$ हो तो ${i_2}/{i_1}$ का मान होगा
$2$
$0.5$
$0.25$
$1$
चित्र में प्रदर्शित धारा व्यवस्था के कारण मध्य बिन्दु $\mathrm{O}$ पर चुम्बकीय प्रेरण का परिमाण होगा :
किसी वृत्ताकार कुण्डली के अक्ष पर इसके केन्द्र से $0.05\, m$ और $0.2 \,m$ की दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात $8: 1$ है। इस कुण्डली की त्रिज्या $.....\,m$ है।
$0.0157$ मीटर त्रिज्या के वृत्ताकार लूप में $2.0$ ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। लूप के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा $({\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}$ वेबर/ऐम्पियर-मीटर)
एक $r$ त्रिज्या एवं $n$ फेरों वाली वृत्तीय कुण्डली में प्रवाहित धारा $i$ के कारण उत्पन्न चुम्बकीय आघूर्ण किस प्रकार परिवर्तित होता है
निम्न में से कौनसी राशि सदिश है