एक द्रव किसी ऐसे क्षैतिज पाइप से होकर बह रहा है जिसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल उसकी पूरी लंबाई पर समान नही है। उसके किसी बिन्दु पर, जहां द्रव का दाब $P$ पास्कल है, द्रव का वेग $v ms ^{-1}$ है। किसी अन्य बिन्दु पर, जहां दाब $\frac{ P }{2}$ पास्कल है द्रव का वेग $V \,ms ^{-1}$ हैं यदि द्रव का घनत्व $\rho \,kg m ^{-3}$ है और द्रव का प्रवाह धारारेखी है, तो $V$ का मान होगा।
$\sqrt{\frac{ P }{2 \rho}+ v ^{2}}$
$\sqrt{\frac{ P }{\rho}+ v ^{2}}$
$\sqrt{\frac{2 P }{\rho}+ v ^{2}}$
$\sqrt{\frac{ P }{\rho}+ v }$
एक लम्बा बेलनाकार पात्र द्रव से आधा भरा हुआ है। जब पात्र को इसकी स्वयं की ऊर्ध्वाधर अक्ष के सापेक्ष घुमाया जाता है तो द्रव दीवार के नजदीक ऊपर की ओर चढ़ता है। यदि पात्र की त्रिज्या $5\, cm$ हो तथा इसकी घूर्णन चाल $2$ घूर्णन प्रति सेकण्ड हो तो केन्द्र तथा इसकी साइडों की ऊँचाई में $cm$ में अन्तर होगा?
एक बन्द पाइप से. जुड़े दाबमापी का पाठ्यांक $4.5 \times 10^4 \mathrm{~N} / \mathrm{m}^2$ है। इसे खोलने पर पानी बहना प्रारम्भ कर देता है तथा दाबमापी का पाठ्यांक गिरकर $2.0 \times 10^4 \mathrm{~N} / \mathrm{m}^2$ हो जाता है। पानी का वेग $\sqrt{\mathrm{V}} \mathrm{m} / \mathrm{s}$ से प्राप्त होता है। $\mathrm{V}$ का मान . . . . . . . . है।
बरनौली समीकरण के अनुसार, $\frac{P}{{\rho g}} + h + \frac{1}{2}\,\frac{{{v^2}}}{g} = $ नियतांक। पद $ A, B$ व $ C$ प्राय: कहलाते हैं
तरल प्रवाह के लिये बरनौली प्रमेय का एक अनुप्रयोग है
कणित्र का सिद्धान्त आधारित है