कणित्र का सिद्धान्त आधारित है
बरनौली प्रमेय पर
बॉयल नियम पर
आर्किमिडीज नियम पर
न्यूटन नियम पर
$L-$ आकार की कांच की नली बहते जल मेंं चित्रानुसार डूबी है। नीचे का निचला खुला सिरा जल धारा के विपरीत ओर है। यदि जल धारा का वेग $ v $ हो तो
तरल प्रवाह के लिये बरनौली प्रमेय का एक अनुप्रयोग है
किसी द्रव (घनत्व$\rho $) से भरे पात्र की दीवारों में विपरीत ओर समान क्षेत्रफल $a$ के दो छिद्र (चित्रानुसार) हैं। छिद्रों की ऊँचाईयों में अंतर $ h$ है। पात्र क्षैतिज घर्षण रहित तल पर रखा है। वह क्षैतिज बल जो पात्र को साम्यावस्था में रखने के लिए आवश्यक है, होगा
$L-$ आकार की एक नली चित्रानुसार जल की बहती धारा में रखी है। नली का ऊपरी सिरा द्रव सतह से $ 10.6 cm $ ऊपर है। नली से बाहर ऊपर की ओर निकलने वाली धारा की ऊँचाई ....... $cm$ होगी ? जल धारा का वेग $2.45 m/s $ है
किसी क्षैतिज नली से एक द्रव प्रवाहित हो रहा है। अनुप्रस्थ परिच्छेद${A_1}$ व ${A_2}$वाले भागों में द्रव के वेग क्रमश: ${v_1}$ व ${v_2}$ हैं। ऊध्र्वाधर नलियों में द्रव स्तरों का अंतर $h$ है तो